माता जीजाबाई ने तुलजा भवानी से वरदान मांगा…
: महाराज छत्रपति शिवाजी के जीवन चरित्र पर आधारित महानाट्य जाणता राजा के पाँचवें दिन
अतिथि उपमुख्यमंत्री बृजेश पाठक ने की माँ तुलजा भवानी की आरती|
लखनऊ : महाराज छत्रपति शिवाजी के जीवन चरित्र पर आधारित महानाट्य जाणता राजा के पाँचवें दिन आज सोमवार को जनेश्वर मिश्रा पार्क के पण्डाल में प्रदेश के कई जिलों से आये हजारों दर्शकों में तब जोश दिखाई दिया जब नाट्य शुरू होते ही शिवाजी की माता जीजाबाई ने अपने पति को मुगल सल्तनत के खिलाफ ललकारते हुए बागवत की बात कही, और कहा कि महाराज आप यह युद्ध किसके लिए लड़ रहे हैं। इन मुगलों ने महाराष्ट्र के हजारों हिन्दुओं की बहन बेटियों की इज्जत लूटी है और लगातार यह मुगल हिन्दुओं को पैरों से कुचल रहे हैं। इस पर भी जब उनके पति विद्रोह करने के लिए तैयार नहीं हुए तो स्वयं माता जीजाबाई ने तुलजा भवानी से वरदान मांगा कि हे माता महाराष्ट्र के लोगों की रक्षा के लिए प्रकट हो जा। माता ने कहा कि आज भगवान शिव और तुलजा भवानी तुम दोनों की शक्ति की जरूरत आन पड़ी है। जीजाबाई ने अपने पुत्र शिवाजी को बचपन से ही राष्ट्रप्रेम और चरित्र की कठोर शिक्षा देते हुए मुगल सेना के खिलाफ खड़ा किया और शिवाजी को यह शपथ दिलाई कि तुम स्वयं अपनी सेना बनाकर इन मुगलों की अत्याचार के खिलाफ युद्ध करो और हिंदवी स्वराज की स्थापना करो। कहा कि शिवा आज से साक्षात् तुलजा भवानी तेरी तलवार पर निवास करेंगी और तुम स्वयं भगवान शिव की तरह शक्तिमान बनकर आम जनता की रक्षा और सुरक्षा करेगा। माता की शिक्षा का शिवाजी पर इतना प्रभाव पड़ा कि वह 14 वर्ष की उम्र में एक महान योद्धा बन गये थे और अपनी सेना के द्वारा मुगलों के कब्जे से कई किलों पर विजय प्राप्त कर ली थी।
नाट्य के समय राष्ट्रप्रेम के प्रति विशेष झलक तब दिखायी दी जब खचाखच भरा पण्डाल जय भवानी-जय शिवाजी के उद्घोश गूंज उठा। नाट्य के दौरान भारत का शौर्य पराक्रम और स्वाभिमान साक्षात् शिवाजी महाराज में दिखाई दे रहा था। शिवाजी ने यह भी कहा कि राजा प्रजा का सेवक होता है जिसके राज्य में प्रजा सुखी होती वहीं सफल राजा होता है। शिवाजी स्वयं राज्य स्वीकार नहीं कर रहे थे, वह अपनी भारत माता और महाराष्ट्र को मुगलों के आतंक और चंगुल से मुक्त कराने के लिए अपनी सेना बनाकर लगातार उनसे भयानक युद्ध कर रहे थे। उन्होंने कुछ ही सालों में मुगलिया सैनिकों में भय व्याप्त कर दिया था। इससे मुगल शासक चीख-चीख कर अपने सेनापतियों और सैनिकों पर खींच रहा था और साथ ही शिवाजी की वीरता का बखान भी कर रहा था। औरंगजेब ने अपने सेनापतियों से कहा कि अकेले एक शिवाजी ने हमारी समुद्र जैसी सेना को तहस-नहस कर दिया और तुम लोग देखते रहे। उसने कहा लानत है तुम्हारी वीरता पर साथ ही शिवाजी की तारीफ करते हुए कहा कि बहुत खूब वीर हो तो शिवाजी जैसा। इस तीन घंटे के मंचन को देख रहे हजारों दर्शक झूम उठे और बीच-बीच में जय भवानी-जय शिवाजी के नारों से पण्डाल गूंजने लगा।
छत्रपति शिवाजी महाराज के जीवन पर आधारित विश्व के सबसे बड़े महानाट्य ‘जाणता राजा’ का आयोजन लखनऊ, उ0प्र0 के जनेश्वर मिश्र पार्क में किया जा रहा है। आज पांचवें दिन भी खचाखच भरे पण्डाल में लगभग 15 हजार दर्शक ने इस महानाट्य मंचन को देखा।
आज कार्यक्रम के दौरान अतिथि के रूप में प्रदेश के मा0 उपमुख्यमंत्री बृजेश पाठक मौजूद रहे जी, कैबिनेट मंत्री जितिन प्रसाद, कैबिनेट मंत्री सुरेश खन्ना ,श्यामनन्दन सिंह अध्यक्ष गो-सेवा आयोग, बौद्धिक प्रमुख मिथिलेश, हाईकोर्ट के न्यायमूर्ति श्रीप्रकाश सिंह, न्यायमूर्ति सौरभ लावानिया, न्यायमूति मंजीव शुक्ला,विधायक सरोजनी नगर डॉ राजेश्वर सिंह,आदि उपस्थित रहे।