ग्रीव्स इंजीनियरिंग ने प्रदूषण नियंत्रण मानकों को पूरा करने वाला नया जेनसेट किया पेश
नई दिल्ली : ग्रीव्स कॉटन लिमिटेड (GCL) के इंजीनियरिंग विभाग, ग्रीव्स इंजीनियरिंग ने नया CPCB IV+ कॉम्प्लाएंट जेनसेट पेश किया है। यह जेनसेट केंद्रीय प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड (CPCB) द्वारा निर्धारित नवीनतम मानकों का पालन करते हैं। ग्रीव्स इंजीनियरिंग उपभोक्ता की उच्च प्रदर्शन, विश्वसनीय और स्थायी पावर सॉल्यूशंस की बढ़ती मांगों को पूरा करने पर ध्यान दे रही है। कंपनी ने अपने प्रोडक्ट पोर्टफोलियो में CPCB IV+ कॉम्प्लाएंट जेनसेट की पेशकश की है, जो <800kW सेगमेंट में 5 kVA से 500 kVA तक की रेंज में आते हैं।
CPCB IV+ कॉम्प्लाएंट जेनसेट लगभग 90% कम NOx और पार्टिकुलेट मैटर (PM) उत्सर्जित करते हैं, जिससे ग्रीनहाउस गैस उत्सर्जन में कमी आती है। अपनी इस खासियत के चलते यह रेंज <800 kW सेगमेंट में भारत को पर्यावरण के अनुकूल बिजली देने के कंपनी के प्रयास में एक महत्वपूर्ण उपलब्धि है। ग्रीव्स 1010 kVA से लेकर 2500 kVA तक के जेनसेट भी बनाता है।
घरों में इस्तेमाल के लिए तैयार कॉम्पैक्ट मॉडल से लेकर कमर्शियल और इंडस्ट्रियल इस्तेमाल के लिए डिज़ाइन किए गए हैवी-ड्यूटी यूनिट तक के बड़े प्रोडक्ट पोर्टफोलियो के साथ, ग्रीव्स इंजीनियरिंग मॉल, मैन्युफैक्चरिंग यूनिट्स, रियल्टी (हाउसिंग और कमर्शियल), बुनियादी ढांचा, रेलवे, हवाई अड्डे, अस्पताल, बीएफएसआई, शैक्षणिक संस्थान, पेट्रोल स्टेशन, डेटा सेंटर, खेल सुविधाएं, सरकारी सुविधाएं, वेयरहाउसिंग, मंदिर आदि जैसे सेक्टर्स को जेनसेट सप्लाई करती है।
वैकल्पिक ईंधन पर फोकस की अपनी रणनीति के तहत ग्रीव्स इंजीनियरिंग, बायोडीजल और इथेनॉल का इस्तेमाल करने वाले जेनसेट के साथ भी बाजार में आने को तैयार है। इनका डीप-स्कर्टेड क्रैंककेस डिज़ाइन हल्के होने के साथ इनको मज़बूती देता है जिससे इनकी रखरखाव लागत कम होती है और इनकी पोर्टेबिलिटी बढ़ती है। -5°C से 50°C तक के तापमान में सुचारू रूप से काम करने के लिए बनाए गए ये जेनसेट अपने शोर-मुक्त प्रदर्शन के लिए जाने जाते है।
ग्रीव्स कॉटन लिमिटेड के प्रबंध निदेशक डॉ. अरूप बसु ने कहा, ” नए CPCB IV+ कॉम्प्लाएंट जेनसेट की नई रेंज ग्रीव्स इंजीनियरिंग की पर्यावरण के प्रति जिम्मेदार और परिचालन के लिहाज से मजबूत अत्याधुनिक पॉवर सॉल्यूशन प्रदान करने की प्रतिबद्धता को दर्शाती है। नया CPCB रेग्युलेशन एक महत्वपूर्ण रणनीतिक कदम साबित होगा, जो इंडस्ट्री को अधिक स्थायी विकास की ओर ले जाएगा। 2070 तक नेट जीरो का दर्जा हासिल करने की भारत की आकांक्षा को पूरा करने के लिए इस तरह के नियम महत्वपूर्ण हैं।”
इंडस्ट्री में 50 से अधिक वर्षों की उपस्थिति और विभिन्न कामों में इस्तेमाल हो रहे 1 लाख से अधिक जेनसेट के साथ, ग्रीव्स इंजीनियरिंग भारत और सार्क रीजन, मध्य पूर्व और अफ्रीका में बिजली उत्पादन क्षेत्र में एक विश्वसनीय नाम रहा है। ग्रीव्स भारत की एकमात्र ऐसी कंपनी है जो तालेगांव में कंपनी की अत्याधुनिक उत्पादन इकाई में अपने जेनसेट का उत्पादन करती है और भारतीय मैन्युफैक्चरिंग की उत्कृष्टता को साबित करती है। कंपनी के बनाए इन जेनसेट ने 1983 में अंटार्कटिका में भारत के तीसरे वैज्ञानिक अभियान में महत्वपूर्ण योगदान दिया था। कंपनी के बनाए जेनसेट पूरे भारत में तमाम तरह के कामों और महत्वपूर्ण संस्थानों में बिजली देने का काम कर रहे हैं।
ग्राहक ग्रीव्स इंजीनियरिंग के देश भर में फैले 120+ से ज़्यादा सर्विस नेटवर्क का फायदा उठा सकते हैं, जो सिंगल विंडो सर्विस सपोर्ट के साथ-साथ 24/7 सर्विस सपोर्ट और ‘ग्रीव्स 1 ऐप’ के ज़रिए लाइव रिमोट मॉनीटरिंग की सुविधा प्रदान करते हैं। इसके अलावा, ग्राहकों को 5 साल या 5000 ऑपरेशन घंटे* की स्टैण्डर्ड वारंटी का फायदा भी मिलता है।