इनडीड हायरिंग ट्रैकर में व्हाईट-कॉलर जॉब गतिविधि में वृद्धि दर्ज हुईः सेल्स, मार्केटिंग और टेक भूमिकाओं की मांग बढ़ी

इनडीड

नई दिल्ली: इनडीड हायरिंग ट्रैकर के नए एडिशन में भारत में अप्रैल से जून 2024 के बीच व्हाईट कॉलर नौकरी बाजार में महत्वपूर्ण वृद्धि सामने आई है। इस दौरान 73 प्रतिशत नियोक्ताओं ने भर्तियाँ कीं, जो पिछली तिमाही (जनवर-मार्च 2024) के मुकाबले 7 प्रतिशत बढ़ीं। अर्थव्यवस्था की मौजूदा चुनौतियों के बाद भी इससे मुख्य क्षेत्रों में तेजी से स्पष्ट संकेत मिले हैं।

नियुक्तियों के फोकस में बदलाव: सेल्स और मार्केटिंग में वृद्धि हो रही है

सेल्स और मार्केटिंग का क्षेत्र नियोक्ताओं के लिए महत्वपूर्ण होता जा रहा है। इस दौरान सेल्स में 30 प्रतिशत भर्तियाँ और मार्केटिंग में 23 प्रतिशत भर्तियाँ हुई हैं। यह परिवर्तन कंपनियों द्वारा अपनी वृद्धि और परफॉर्मेंस को मजबूत करने पर जोर का संकेत दे रहा है। जहाँ संगठन बाजार में अपनी पहुँच को मजबूत कर रहे हैं, वहीं इन पदों को व्यवसायों को सफलता दिलाने के लिए महत्वपूर्ण माना जा रहा है।

टेक पदों की मजबूत मांग बनी रही

आईटी पदों के लिए मांग मजबूत बनी रही। डेटा एनालिस्ट (23 प्रतिशत), डेटा इंजीनियर (16 प्रतिशत) और डेटा वैज्ञानिकों (11 प्रतिशत) की मांग सबसे ज्यादा रही। इससे उद्योगों में हो रहा डिजिटल परिवर्तन प्रदर्शित होता है, जिनके लिए विशेषज्ञ कौशल वाले पदों की जरूरत है, ताकि व्यवसाय जटिल टेक्नोलॉजिकल परिदृश्य में आगे बढ़ सकें।

कौशल की कमी एक बढ़ती समस्या है

जहाँ कंपनियाँ भर्ती कर रही हैं, वहीं कौशल की बढ़ती कमी भी चिंता का विषय है। इनडीड की हायरिंग ट्रैकर रिपोर्ट में सामने आया कि अगर कौशल संवर्धन को प्राथमिकता नहीं दी गई, तो 61 प्रतिशत नियोक्ताओं को अगले दो सालों में कौशल की कमी बढ़ने का अनुमान है। इसके बावजूद, केवल 23 प्रतिशत नियोक्ता वर्तमान में व्यक्तिगत प्रशिक्षण कार्यक्रम पेश कर रहे हैं, जिससे उनके द्वारा यह कमी देखे जाने और इस पर कार्रवाई किए जाने का बड़ा अंतर स्पष्ट होता है।

दोहरी मांगः टेक्निकल और सॉफ्ट स्किल्स

आज के कार्यस्थल पर टेक्निकल और सॉफ्ट स्किल्स दोनों की मांग की जाती है। नियोक्ता न केवल डेटा साईंस, साईबरसिक्योरिटी, और कोडिंग की योग्यता मांगते हैं, बल्कि वो कम्युनिकेशन, टाईम मैनेजमेंट, क्रिटिकल थिंकिंग और प्रॉब्लम सॉल्विंग जैसी सॉफ्ट स्किल्स को भी महत्व देते हैं। इस दोहरी जरूरत से प्रतिभाओं से बढ़ती अपेक्षाएं प्रदर्शित होती हैं, जिसके लिए अनुकूलनशीलता और विस्तृत कौशल सेट आवश्यक हैं।

इनडीड इंडिया के हेड ऑफ सेल्स, शशि कुमार ने कहा, ‘‘हमारी लेटेस्ट हायरिंग ट्रैकर रिपोर्ट से श्रम बाजार की मौजूदा डायनामिक्स का विस्तृत अनुमान मिलता है। जहाँ आईटी के पदों की मांग ज्यादा बनी हुई है, वहीं सेल्स और मार्केटिंग पर बढ़ता जोर नियोक्ताओं की प्राथमिकताओं में होता परिवर्तन प्रदर्शित कर रहा है। इससे नौकरी तलाशने वालों को स्पष्ट संदेश मिलता है कि उन्हें टेक्निकल और सॉफ्ट स्किल्स के लिए निरंतर अपना कौशल बढ़ाते रहना चाहिए, जो इस विकसित होते परिदृश्य में बहुत महत्वपूर्ण है।’’

भविष्य के रुझानः रणनीतिक कौशल की मांग

व्हाईट कॉलर जॉब मार्केट का भविष्य इस पर निर्भर होगा कि संगठन कौशल की कमी को कितनी कुशलता से हल करते हैं। इस ट्रैकर में सामने आया कि 40 प्रतिशत नियोक्ताओं को, अगर कौशल संवर्धन पहलों का क्रियान्वयन न किया गया, तो बहुत कम वृद्धि (0-5 प्रतिशत) का अनुमान है। भविष्य में कौशल की मांग के लिए पहचाने गए मुख्य क्षेत्रों में क्लाउड कंप्यूटिंग (27 प्रतिशत), सस्टेनेबिलिटी (23 प्रतिशत) और विकसित होती हुई टेक्नोलॉजी जैसे जनरेटिव एआई और एआर/वीआर (20 प्रतिशत) हैं।

नौकरी तलाशने वालों के लिए कौशल संवर्धन केवल प्रतिस्पर्धी बने रहने के लिए ही नहीं, बल्कि अपनी आय की क्षमता बढ़ाने के लिए भी जरूरी है। इनडीड के आँकड़ों में सामने आया कि 61 प्रतिशत कर्मचारियों को कौशल संवर्धन द्वारा अपने वेतन में 20 से 40 प्रतिशत वृद्धि होने का अनुमान है। इस अनुमान से यह समझ प्रदर्शित होती है कि तेजी से बदलते नौकरी के बाजार में उन्नत और उपयोगी कौशल वाले लोगों को बेहतर नौकरी और वेतन मिलने की संभावना ज्यादा होती है। साथ ही करियर काउंसलिंग (43 प्रतिशत) और मेंटरशिप (57 प्रतिशत) की बढ़ती मांग के साथ नियोक्ता अपने विकास कार्यक्रमों को कर्मचारियों की अपेक्षाओं के साथ संरेखित करके महत्वपूर्ण भूमिका निभा सकते हैं। इससे प्रदर्शित होता है कि नौकरी तलाशने वाले गतिशील बाजार में हो रहे परिवर्तनों के लिए मार्गदर्शन चाहते हैं। उन्हें करियर का गलत निर्णय लेने या फिर यह न समझ पाने का डर होता है कि भविष्य के किस कौशल की सबसे ज्यादा मांग होगी। करियर काउंसलिंग और मेंटरशिप से सूचित निर्णय लेने में मदद मिलती है, जिससे नौकरी के इच्छुक अपी प्रगति को उद्योग के रुझान और नियोक्ताओं की अपेक्षाओं के अनुरूप ढाल सकते हैं।

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