एक समन्दर मेरे अन्दर काव्यकृति का लोकार्पण….
लखनऊ: साहित्यकार व कवयित्री डा. कुसुम सिंह अविचल की स्वरचित कविता संग्रह एक मेरे अन्दर का गरिमामय लोकार्पण उत्तर प्रदेश हिन्दी संस्थान लखनऊ के निराला सभागार में सफलता पूर्वसंपन्न हुआ। कार्यक्रम की अध्यक्षता संस्थान के पूर्व कार्यकारी अध्यक्ष, वरिष्ठ साहित्यकार पूर्व उदय प्रताप सिंह एवम मुख्य अतिथि वरिष्ठ साहित्यकार पद्मश्री डॉ. विद्या सिंह रही। दोनो वरिष्ठ विभूतियों की उपस्थिति ने कार्यक्रम को नव्य भव्यता प्रदान की ज्ञान की प्रधान सम्पादक परम विदुषी डा. अमिता दुबे के पुस्तक पर केंद्रित मुख्य वक्तव्य ने पुस्तक लोकार्पण कार्यक्रम को गहराई प्रदान की।
साहित्य शिक्षाविद मनीषियों, वरिष्ठ रचनाकारों, समीचीन समीक्षक समालोचक महानुभावों की गरिमामय उपस्थिति ने कार्यक्रम को राष्ट्रीय स्तर का दर्जा दिलाया। इस क्रम में आगरा से डा. सोम ठाकुर, गाजियाबाद से डा. रमा सिंह, फरुर्खाबाद से डा. शिवओम अम्बर, कानपुर से डा. प्रेम कुमारी मिश्र उपस्थित रहे। कार्यक्रम संचालन की बागडोर डा. शिवओम अंदार ने संभाली उनके कुशल संचालन में कार्यक्रम ने सफलता के प्रतिमान स्थापित कर दिए। कार्यक्रम का प्रारम्भ मा सरस्वती पूजन व वाणी वंदना से हुआ। सभी अतिथियों का बैज अलकरण संस्था की सहयोगी ऋषि श्रीवास्तव, स्नेह श्रीवास्तव, श्रद्ध सिंह व धवल प्रताप सिंह द्वारा किया गया। तत्पश्चात मंचस्थ अतिथियों के कर कमलों द्वारा प्रतीक पुस्तक का अनावरण संग पुस्तक लोकार्पण कार्यक्रम संपन्न हुआ।
मंचस्थ अतिथियों के काव्यकृति व कृतिकार पर केंद्रित अपने समीक्षात्मक सारगर्भित विचार रखे। मंच के साथ साथ सभागार भी सुधी रचनाकारों की गरिमामय उपस्थिति से शोभायमान रहा। कार्यक्रम के संरक्षक महेश अस्थाना, कार्यक्रम प्रभारी डा. मनोज अग्रवाल, संस्था के राष्ट्रीय उपाध्यक्ष भूदत्त शर्मा आहारे तात मिलन सहित लखनऊ से पूरा साहित्य परिवार सहित ने अपना अमूल्य समय देकर सबको से सुनकर पूरे आयोजन को एक विशेषता प्रदान की पूरा सभागार सबकी महत्वपूर्ण उपस्थिति से भरा रहा।