करवा चौथ पर 100 साल बाद बन रहा महासंयोग…
: हिंदू धर्म में करवा चौथ का विशेष महत्व है। इस खास दिन पर सुहागिन महिलाएं पति की लंबी आयु के लिए व्रत रखती हैं।
लखनऊ : हिंदू धर्म में करवा चौथ का विशेष महत्व है। इस खास दिन पर सुहागिन महिलाएं पति की लंबी आयु के लिए व्रत रखती हैं। ये दिन सुहागिन महिलाओं के लिए बहुत खास होता है। करवा चौथ पर महिलाएं व्रत रखने के साथ.साथ विधिनुसार पूजा-अर्चना भी करती हैं। हिंदू पंचांग के अनुसार कार्तिक मास के कृष्ण पक्ष की चतुर्थी तिथि को करवा चौथ का त्योहार मनाया जाता है। इस पर्व में चंद्रमा काफी महत्वपूर्ण है क्योंकि महिलाएं दिन भर निर्जला उपवास रखकर शाम को चंद्रमा निकलने के बाद ही अपना उपवास खोलती है। वहीं इस साल चतुर्थी तिथि 31 अक्तूबर की रात 10 बजकर 42 मिनट से शुरू हो रही है। जिसका समापन अगले दिन यानी 1 नवंबर की रात 09 बजकर 19 मिनट पर होगा। उदया तिथि के अनुसारए 1 नवंबर को करवा चौथ का व्रत रखा जाएगा। करवा चौथ से जुड़ी कई मान्यताएं और परंपराएं हैं, जो इसे और खास बनाती हैं। करवा चौथ का त्योहार मुख्य रूप से पंजाब, उत्तर प्रदेश, हरियाणा, गुजरात और राजस्थान आदि राज्यों में मनाया जाता है। माना जाता है किए ये व्रत रखने से वैवाहिक जीवन में भी सुख बना रहता है। इस बार 100 साल बाद करवा चौथ पर महासंयोग का निर्माण हो रहा है। आइए जानते हैं इस महासंयोग के बारे में। कब होगा चंद्रोदय 1 नवंबर 2023 यानी करवा चौथ की रात्रि 08:15 बजे चंद्रोदय होगा। करवा चौथ पूजा मुहूर्त सायं 05 बजकर 36 मिनट से 06 बजकर 54 मिनट तक रहेगा और अमृत काल सायं 07 बजकर 34 मिनट से 09 बजकर 13 मिनट तक रहेगा। इस समय आप चंद्रमा को देखकर व्रत का पारण सकते हैं। यह समय काफी शुभ रहने वाला है। शुभ योग का हो रहा निर्माण इस बार का करवा चौथ सुहागिन महिलाओं के लिए बेहद खास होने वाला है। इस बार 100 साल के बाद चंद्रमा में मंगल और बुध एक साथ विराजमान है। जिस कारण बुध आदित्य योग बन रहा है। इसके अलावा करवा चौथ के दिन शिवयोग या शिव वास और सर्वार्थ योग भी बन रहा है। इसलिए इस साल का करवा चौथ काफी शुभ रहने वाला है। जो महिलाएं इस दिन व्रत रखकर चन्द्रमा को अर्घ्य देंगी उनकी मनोकामनाएं जरूर पूरी होंगी। साथ ही वैवाहिक जीवन में सुख बना रहेगा। मान्यता है कि करवा चौथ के दिन मां गौरी और भगवान शिव के साथ गणेश भगवान का भी आशीर्वाद प्राप्त होता है। करवा चौथ पूजा विधि करवा चौथ के दिन स्नान करने के बाद स्वच्छ वस्त्रों को धारण करें। फिर व्रत का संकल्प लें। इस दिन निर्जला व्रत रखें। बाद में आप अपनी पूजा की सामग्री को एकत्रित करें। इसके बाद घर के मंदिर की दीवार पर गेरू से फलक बनाकर करवा का चित्र बनाएं। फिर शाम के समय फलक वाले स्थान पर चौकी रखकर लाल रंग का साफ वस्त्र बिछाएं। फिर भगवान शिव और माता पार्वती की तस्वीर स्थापित करें। आप अपनी पूजा की थाली में दीप, सिंदूर, कुमकुमए रोली और करवे में जल भरकर रखें। फिर करवा चौथ व्रत की कथा सुनें। रात में चांद के निकलने के बाद चंद्रदेव की पूजा करें और अर्घ्य दें। इसके बाद पानी पीकर अपना व्रत खोलें।
:करवाचौथ के लिए सज गया मेंहदी बाजार…
करवा चौथ पर सोलह श्रृंगार का अपना ही अलग महत्व होता है। इस दिन महिलाएं पूरी तरह से सज संवर कर सोलह श्रृंगार करके पति की लंबी आयु के लिए व्रत रखती हैं, लेकिन इस सोलह श्रृंगार में अगर हाथों पर मेहंदी ना लगी हो तो इसे अधूरा ही माना जाता है। इसीलिए करवा चौथ पर हाथों पर मेहंदी लगवाना जरूरी होता है। यही वजह है कि हर साल की तरह इस साल भी लखनऊ में करवा चौथ पर मेहंदी लगवाने के लिए लोगों ने एडवांस बुकिंग शुरू कर दी है। लखनऊ के कई ऐसे बाजार हैं जहां पर आप जाकर दोनों हाथों और पैरों में मेहंदी लगवा सकती हैं। यहां की कीमतें भी बेहद कम होती हैं। खास तौर पर लखनऊ का पत्रकारपुरम, निशातगंज, इंदिरा नगर, भूतनाथ मार्केट, राजाजीपुरम का ई.ब्लॉक मार्केट और तो और हजरतगंज में लवलेन मार्केट के पास मेहंदी लगाने के लिए लोग बैठने लगे हैं और अभी करवा चौथ की बुकिंग चल रही है।
: करवा चौथ पर मेहंदी लगवाती महिलायें…
भारतीय संस्कृति में त्योहार न केवल हमें हमारी परंपराओं से परिचित कराती है बल्कि हमारे अंदर आस्था और विश्वास जगाने का भी काम करती हैं। यही वजह है कि विकास के दौर में ईश्वर के प्रति हमारी श्रद्धा कम नहीं हुई है। धार्मिक मान्यताओं के अनुरूप हम चांद में सुहाग की तस्वीर देखने के लिए करवा चौथ का व्रत रखते हैं। सुहागिनों का पर्व करवा चौथ पर चांद के दीदार की बेकरारी त्योहार के उल्लास में चार चांद लगा देती है। 1 नवंबर को होने वाले इस पर्व को लेकर बाजार भी तैयार हैं। हर बाजार त्योहार के रंग में रंग चुका है। पौराणिक ग्रंथों के साथ ही सामाजिक मान्यताएं हमे अपने धर्म के प्रति धर्मनिष्ठ बनाती हैं। इसी मंशा के चलते हम हर त्योहार को अपने ढंग से मनाने में आगे रहते हैं। चांद के दीदार का पर्व भले ही 1 नवंबर को है, लेकिन बाजार तैयार है। करवा चौथ पर पूजन सामग्री के साथ ही डिजाइनर करवे भी बाजार में मौजूद हैं।