एक भावुक अध्याय का समापन: निकोलस पूरन का इंटरनेशनल संन्यास

वेस्टइंडीज के विस्फोटक विकेटकीपर-बल्लेबाज निकोलस पूरन (29 वर्ष) ने 9 जून 2025 को अंतरराष्ट्रीय क्रिकेट से संन्यास लेने की घोषणा की। यह खबर क्रिकेट जगत के लिए एक बड़े झटके की तरह आई, क्योंकि पूरन ने बीते नौ वर्षों में अपनी आक्रामक बल्लेबाज़ी की बदौलत वेस्टइंडीज और दुनिया भर में खूब नाम कमाया।
🇼🇸 अंतरराष्ट्रीय सफ़र की शुरुआत
- टी20 डेब्यू: वह सितंबर 2016 में दुबई में पाकिस्तान के खिलाफ टी20 इंटरनेशनल में पदार्पण हुआ कर दुनिया की नजरों में आए ।
- वनडे डेब्यू: तीन साल बाद, फरवरी 2019 में ब्रिजटाउन, बरबाडोस में इंग्लैंड के खिलाफ पहला वनडे खेला ।
रिकॉर्ड-ब्रेकिंग उपलब्धियाँ
- टी20 इंटरनेशनल:
- 106 मैचों में 2,275 रन, जिससे वह वेस्टइंडीज के सर्वोच्च रन-स्कोरर बन गए ।
- 13 अर्धशतक, स्ट्राइक रेट 136.39, और 149 छक्के, जो टी20I में पांचवें स्थान पर हैं ।
- सिर्फ 97 पारियों में इतने छक्के लगाना दर्शाता है उनकी विस्फोटक बल्लेबाज़ी ।
- वनडे: 61 मैचों में 1,983 रन, औसत 39.66, स्ट्राइक रेट 99.15 — 3 शतक और 11 अर्धशतक ।
- वनडे वर्ल्ड कप: पूरन ने 2019 में वेस्टइंडीज का प्रतिनिधित्व भी किया ।
कप्तानी, विवाद और आत्मनिरीक्षण
- कप्तानी:
- मई 2022 में उसे सीमित-ओवरों का कप्तान नियुक्त किया गया, मगर 2022 T20 वर्ल्ड कप में टीम के पहले राउंड में बाहर हो जाने के बाद उन्होंने कप्तानी छोड़ दी ।
- इससे पहले, अक्टूबर 2021–अप्रैल 2022 के बीच उपकप्तान बने और कागरोबल ऑस्ट्रेलिया के खिलाफ 4‑1 श्रृंखला जीत में अहम भूमिका निभाई ।
- बॉल-टेम्परिंग विवाद:
2019 में अफगानिस्तान के खिलाफ बॉल-टेम्परिंग के आरोप में उन्हें चार मैचों के लिए निलंबित किया गया, लेकिन उन्होंने जल्दी वापसी की और अपनी दमदार बल्लेबाज़ी व कप्तानी से सबका भरोसा दोबारा जीता ।
संन्यास का इमोशनल एलान
पूरन ने इंस्टाग्राम पर एक भावुक पोस्ट के जरिए संन्यास की घोषणा की:
“Wearing that maroon, standing for the anthem, and giving everything I had each time I stepped on the field… it’s hard to put into words what that truly means to me. To have led the team as captain is a privilege I will always hold close to my heart.”
उन्होंने लिखा:
“To the fans – thank you for your unwavering love… To my family, friends and teammates – thank you for walking this journey with me… Though this international chapter of my career closes, my love for West Indies Cricket will never fade.”
उन्होंने स्वीकार किया कि यह “बहुत मुश्किल निर्णय” था, और इसे लेने में उन्हें “काफी सोच-विचार” करना पड़ा ।
आखिरी मैच
- नीचे बचने वाले आखिरी प्रमुख अंतरराष्ट्रीय मुकाबले थे:
- टी20I: दिसंबर 2024 में बांग्लादेश के खिलाफ, श्रृंखला 0‑3 से हार वेस्टइंडीज की ।
- वनडे: जुलाई 2023 में श्रीलंका के खिलाफ ।
फ्रेंचाइज़ी लीगों में भविष्य
पूरन ने हाल ही में IPL की Lucknow Super Giants में विस्फोटक प्रदर्शन किया: IPL 2025 में उन्होंने 40 छक्कों के साथ छक्कों का चार्ट टॉप किया ।
अपनी पोस्ट में उन्होंने बताया कि उन्होंने इंग्लैंड के खिलाफ आगामी T20 सीरीज से खुद को आराम की वजह से मुक्त कराया था, जिससे उन्हें IPL प्रिपरेशन में सुविधा मिल सके ।
क्रिकेट वेस्ट इंडीज ने उनके योगदान की सराहना करते हुए कहा कि उनका प्रदर्शन और टीम पर प्रभाव हमेशा याद रहेगा ।
आगे, पूरन का इरादा है कि वह दुनिया भर की फ्रेंचाइज़ी T20 लीगों—जैसे IPL, CPL, MLC, The Hundred आदि—में सक्रिय रूप से भाग लेते रहें ।
व्यापक प्रभाव और चर्चा
पूरन का संन्यास केवल व्यक्तिगत नहीं, बल्कि यह टी20 लीगों बनाम अंतरराष्ट्रीय क्रिकेट की जारी बहस का हिस्सा बन गया है। जैसे-जैसे टी20 लीगों की लोकप्रियता बढ़ रही है, बड़े खिलाड़ी कम उम्र में ही इंटरनेशनल क्रिकेट से दूरी बना रहे हैं।
भारत टाइम्स ने लिखा:
“Many fans … blamed T20 leagues for ‘killing international cricket’.”
और इसी मुद्दे पर सवाल उठते हैं – क्या लगाई गई वित्तीय ताक़त और आराम की प्राथमिकताएं अंतरराष्ट्रीय क्रिकेट के प्रति खिलाड़ियों की प्रतिबद्धता को प्रभावित कर रही हैं?
संक्षेप में पूरन का करियर
- टेस्ट क्रिकेट: पूरन को कभी टेस्ट टीम में मौका नहीं मिला , लेकिन सीमित-ओवरों में उन्होंने पुरानी यादों को ताज़ा कर दिया।
- कुल अंतरराष्ट्रीय मैच: 61 वनडे + 106 टी20 = 167 मैचों में 4,258 रन (वनडे + टी20) – एक शानदार आंकड़ा।
- उम्र: 29 वर्ष; यह संन्यास बहुत जल्दी लगा, लेकिन उनका मंशा साफ़ थी।
- अब उनका ध्यान फ्रेंचाइज़ी क्रिकेट पर रहेगा, जिसमे उन्हें न सिर्फ खेल में आनंद मिलता है, बल्कि बेहतर आर्थिक अवसर भी मिलते हैं।
क्या यह बदलते क्रिकेट का संकेत है?
पूरी गेंद-बल्लेबाज़ी की दुनिया बदल रही है। फ्रेंचाइज़ी लीगों की बढ़ती ग्लोबल अपील और खिलाड़ियों की शारीरिक व मानसिक जरूरतों को देखते हुए, कुछ खिलाड़ी इंटरनेशनल क्रिकेट को जूनियर स्तर पर प्राथमिकता दे रहे हैं।
निकोलस पूरन इसका एक ताज़ा उदाहरण बन चुके हैं: उन्होंने राष्ट्रगान के समय ‘मैरून जर्सी पहनना’ और ‘कप्तानी’ को “दिल के करीब” रखते हुए खेला, लेकिन आर्थिक तयाओं और आराम को देखते हुए अंतरराष्ट्रीय सफ़र को अब विराम दिया।
निष्कर्ष
निकोलस पूरन एक ऐसे खिलाड़ी थे जिन्होंने अपनी आक्रामक बल्लेबाज़ी और आत्मा से न सिर्फ मैदान में छाप छोड़ी, बल्कि कप्तानी के दौरान टीम को ऊर्जा भी दी। 29 वर्ष की उम्र में संन्यास लेना उनके और क्रिकेट जगत के लिए एक बड़ा अचम्भा रहा, लेकिन फ्रेंचाइज़ी लीगों की दुनिया में बने रहने की उनकी प्रतिबद्धता भी साफ़ है।
यह संन्यास सिर्फ पूरन का नहीं, बल्कि क्रिकेट की बदलती दुनिया का प्रतिबिंब है – जहां खिलाड़ी अब अपनी उपलब्धियों, आराम, और आर्थिक प्राथमिकताओं को संतुलित करते हुए महत्वपूर्ण फैसले ले रहे हैं।