दशरथ कैकेई संवाद व राम वन गमन लीला ने दर्शकों को किया भाव विभोर…

लखनऊ : भारत की सबसे प्राचीनतम रामलीला समिति, श्रीराम लीला समिति ऐशबाग लखनऊ के तत्वावधान में रामलीला मैदान के तुलसी रंगमंच पर चल रहे रामोत्सव.2023 के आज तीसरे दिन राम बारात का अयोध्या प्रस्थान, राम के राज्याभिषेक की घोषणा, दशरथ कैकेई संवाद, राम वन गमन और प्रजा विद्रोह लीला हुई। रामलीला के पूर्व आज शिवानी के नृत्य निर्देशन में सुन्दरन आर्ट एकेडमी और अंकिता बाजपेयी के निर्देशन में नृत्य मंथन स्कूल आफ डांस के कलाकारों ने भक्ति भावना से परिपूर्ण नृत्य की मोहक प्रस्तुति दी।

आज रामलीला का आरम्भ जनकपुरी से राम जी की बारात अयोध्या वापसी लीला से हुआ। इस प्रसंग में भगवान राम जब सीता जी के संग अयोध्या में प्रवेश करते हैं तो पूरी अयोध्या दुल्हन के रूप में सजी स्वागत में इंतजार करती हुई नजर आती है। मार्ग से महल तक पहुंचने में राम जी का स्वागत पुष्प वर्षा से किया जाता है और महल पहुंचने पर माता कौशल्या, सुमित्रा और कैकेई अपने सभी पुत्रों और बहुओं का स्वागत आरती उतार कर करती हैं।

मन को मोह लेने वाली इस लीला के पश्चात राम राजगद्दी सौपने सम्बन्धी लीला हुईए इस प्रसंग में एक दिन राजा दशरथ अपने कक्ष में बैठे अपने केशों को सुलझा रहे थे तब उन्होंने दर्पण में देखा कि उनके केश कुछ सफेद नजर आ रहें हैं। इसको देखकर वह निर्णय लेते हैं कि मैं अब बूढ़ा हो चला हूं इसलिए अपने बड़े पुत्र राम को राजगद्दी सौंप दी जाए।


अगली लीला के क्रम में दशरथ कैकेई संवाद लीला हुई, इस प्रसंग में राजा दशरथ कोप भवन में जाकर कैकेई को समझाने का प्रयास करते हैं कि मैं जो कर रहा हूं वह ठीक है, इससे आपको कोई परेशानी नहीं होगी, पर कैकेई अपनी मांग पर अड़ी रहती हैं, मजबूर होकर वह कैकेई को, भरत को राजगद्दी और राम को चौदह वर्ष का वनवास देने का वचन देते हैं। इसी क्रम में कौशल्या राम संवाद लीला हुई, इस प्रसंग में राम, माता कौशल्या के पास वन जाने की आज्ञा मांगते हैं, वह आज्ञा तो नहीं देना चाहती थीं, लेकिन उन्होंने अपने पति के वचनों पर गौर करके राम को आज्ञा देती हैं कि वह अपने पिता के वचनों का मान रखकर वनवास को जाएं।


हृदय को विहृवल कर देने वाली इस लीला के उपरान्त राम वन गमन लीला हुई, इस प्रसंग में राम, जब वन गमन के लिए प्रस्थान करने के लिए सीता जी से कहते हैं कि मैं वन गमन कर रहा हूं, आप सबका ध्यान रखिएगा, इस पर सीता जी, राम जी से कहती हैं कि जहां पति होगा वहीं पत्नी को भी होना चाहिएए पत्नी का स्थान पति के साथ है न कि राजमहल मेंए इसलिए मैं आपके साथ वन चलूंगी। यह देखकर लक्ष्मण भी राम से आग्रह करते हैं कि वह भी उनके साथ सेवा के लिए चलेंगे, उनके बिना वह महल में नहीं रहेंगे। राम के बहुत समझाने पर वह नहीं मानते और वह भी राम और सीता के साथ वन गमन के लिए प्रस्थान करते हैं। यह देखकर राज्य की प्रजा बहुत दुखी होती है और वह भी उनके साथ चलने के लिए प्रार्थना करती है, लेकिन उनके मना करने पर कुछ दूर तक प्रजा साथ चलती है और यह देखकर भगवान राम सभी अयोध्यावासियों से कहते हैं कि आप लोग वापस जाइये, मैं 14 वर्षों के बाद पुन: अयोध्या वापस आऊंगा।

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