भारत का विस्तारित सड़क नेटवर्क: आर्थिक विकास और कनेक्टिविटी को बढ़ावा देना

दुनिया के सबसे बड़े सड़क नेटवर्क वाले देशों में भारत का स्थान दूसरा है, जो इसकी आर्थिक और सामाजिक प्रगति का प्रतीक है। यह व्यापक नेटवर्क न केवल देश के विभिन्न हिस्सों को जोड़ता है, बल्कि राष्ट्रीय और अंतर्राष्ट्रीय व्यापार, पर्यटन और सामाजिक समावेशन को भी बढ़ावा देता है।
दुनिया के शीर्ष 5 सबसे बड़े सड़क नेटवर्क वाले देश (2024)
- संयुक्त राज्य अमेरिका – 6,586,610 किलोमीटर
- भारत – 6,371,847 किलोमीटर
- चीन – 5,200,000 किलोमीटर
- ब्राज़ील – 2,000,000 किलोमीटर
- रूस – 1,283,387 किलोमीटर
🇮🇳 भारत का सड़क नेटवर्क: विस्तार और विकास
भारत का सड़क नेटवर्क 6.37 मिलियन किलोमीटर से अधिक है, जो इसे दुनिया का दूसरा सबसे बड़ा बनाता है। इसमें राष्ट्रीय राजमार्ग, राज्य राजमार्ग, ग्रामीण सड़कें और शहरी सड़कें शामिल हैं।
प्रमुख राजमार्ग और परियोजनाएं
- राष्ट्रीय राजमार्ग 44 (NH-44): यह भारत का सबसे लंबा राजमार्ग है, जो श्रीनगर से कन्याकुमारी तक लगभग 3,745 किलोमीटर तक फैला है।
- दिल्ली-मुंबई एक्सप्रेसवे: यह लगभग 1,200 किलोमीटर लंबा एक्सप्रेसवे है, जो दिल्ली और मुंबई के बीच यात्रा समय को 12 घंटे तक कम कर देगा।
- गोल्डन क्वाड्रिलेटरल परियोजना: यह चार प्रमुख महानगरों—दिल्ली, मुंबई, चेन्नई और कोलकाता—को जोड़ने वाली एक प्रमुख सड़क परियोजना है।
- भारतमाला परियोजना: यह एक महत्वाकांक्षी योजना है, जिसका उद्देश्य भारत के सीमावर्ती और पिछड़े क्षेत्रों को मुख्यधारा से जोड़ना है।
हालिया विकास
पिछले दशक में भारत के राष्ट्रीय राजमार्ग नेटवर्क में 60% की वृद्धि हुई है, जो 2014 में 91,287 किलोमीटर से बढ़कर 2024 में 146,195 किलोमीटर हो गया है। इसके अलावा, चार-लेन या उससे अधिक वाले राजमार्गों की लंबाई में 2.6 गुना वृद्धि हुई है, और निर्माण की गति में 2.8 गुना वृद्धि हुई है।
भारत के सड़क नेटवर्क का सामाजिक और आर्थिक महत्व
- माल और यात्री परिवहन: भारत की सड़कें देश के माल परिवहन का लगभग 71% और यात्री परिवहन का लगभग 85% संभालती हैं।
- सड़क घनत्व: भारत का सड़क घनत्व 1.94 किलोमीटर प्रति वर्ग किलोमीटर है, जो अमेरिका (0.71 किमी), चीन (0.54 किमी), ब्राज़ील (0.23 किमी) और रूस (0.09 किमी) से कहीं अधिक है।
- ग्रामीण और शहरी कनेक्टिविटी: प्रमुख योजनाओं जैसे प्रधानमंत्री ग्राम सड़क योजना (PMGSY) के तहत, भारत के ग्रामीण क्षेत्रों में सड़क कनेक्टिविटी में उल्लेखनीय सुधार हुआ है, जिससे सामाजिक और आर्थिक विकास को बढ़ावा मिला है।
भविष्य की योजनाएं और चुनौतियां
आगामी परियोजनाएं
- 30,000 किलोमीटर के दो-लेन राजमार्गों को चार-लेन में परिवर्तित करना: सरकार ने लगभग 25,000 से 30,000 किलोमीटर के दो-लेन राजमार्गों को चार-लेन में परिवर्तित करने की योजना बनाई है, जिसमें लगभग ₹10 लाख करोड़ का निवेश किया जाएगा।
प्रमुख चुनौतियां
- पर्यावरणीय प्रभाव: बड़ी सड़क परियोजनाओं के लिए भूमि अधिग्रहण और पर्यावरणीय स्वीकृतियां समय-समय पर परियोजनाओं में देरी का कारण बनती हैं।
- रखरखाव और गुणवत्ता: सड़कों की गुणवत्ता और रखरखाव में सुधार की आवश्यकता है, विशेषकर ग्रामीण और दूरदराज के क्षेत्रों में।
- वित्तपोषण और निजी भागीदारी: बड़ी परियोजनाओं के लिए पर्याप्त वित्तपोषण सुनिश्चित करना और निजी क्षेत्र की भागीदारी को बढ़ावा देना आवश्यक है।
निष्कर्ष
भारत का सड़क नेटवर्क न केवल आकार में विशाल है, बल्कि यह देश की आर्थिक, सामाजिक और सांस्कृतिक प्रगति का आधार भी है। सरकार की योजनाएं और परियोजनाएं इस नेटवर्क को और अधिक सुदृढ़ और व्यापक बनाने की दिशा में अग्रसर हैं। हालांकि, पर्यावरणीय, वित्तीय और प्रबंधन संबंधी चुनौतियों का समाधान करना आवश्यक है, ताकि यह नेटवर्क सतत विकास और समावेशी प्रगति का माध्यम बन सके।
सरकार ने राष्ट्रीय राजमार्गों के विकास के लिए कई महत्वाकांक्षी योजनाएं शुरू की हैं, जैसे ‘भारतमाला परियोजना’ और ‘राष्ट्रीय राजमार्ग विकास परियोजना’। इन योजनाओं का उद्देश्य देश के विभिन्न हिस्सों को उच्च गुणवत्ता वाली सड़कों से जोड़ना है, जिससे व्यापार, पर्यटन और आपातकालीन सेवाओं की पहुंच में सुधार हो। इसके अलावा, ‘प्रधानमंत्री ग्राम सड़क योजना’ के तहत ग्रामीण क्षेत्रों में सड़क कनेक्टिविटी को बढ़ावा दिया गया है, जिससे ग्रामीण अर्थव्यवस्था को सशक्त बनाने में मदद मिली है। हालांकि, इन परियोजनाओं के सफल कार्यान्वयन के लिए पर्याप्त वित्तपोषण, पारदर्शिता और समयबद्धता सुनिश्चित करना आवश्यक है। साथ ही, पर्यावरणीय संतुलन बनाए रखने के लिए सतत विकास के सिद्धांतों का पालन करना भी अनिवार्य है।
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