कोटा की ICICI बैंक मैनेजर ने 110 खातों से ₹4.58 करोड़ फर्जी लेनदेन कर बैंक फ्रॉड को अंजाम दिया

ICICI बैंक की रिलेशनशिप मैनेजर ने किया करोड़ों का गबन
कोटा के श्रीराम नगर स्थित ICICI बैंक की रिलेशनशिप मैनेजर साक्षी गुप्ता पर आरोप है कि उसने करीब ढाई वर्षों (लगभग 2 ½ साल) में 43 ग्राहकों के 110 अकाउंट्स से लगभग ₹4.58 करोड़ निकाल लिए । जांच के दौरान सामने आया कि उसने इन खातों में मोबाइल नंबर और ई‑मेल आईडी बदले, OTP, पिन व डेबिट कार्ड की जानकारी का दुरुपयोग किया और फ़िक्स्ड डिपॉजिट्स (FDs) को ओवरड्राफ्ट कर शेयर बाज़ार में लगा दिया ।
फ्रॉड का चालाक तरीका और रणनीति
- मोबाइल नंबर एवं ई‑मेल बदलना:
- ग्राहकों के पुराने नंबर हटाकर परिजनों के नंबर ऐड किए — जिससे ट्रांजैक्शन की सूचना ग्राहक तक न पहुँचे।
- डेबिट/OTP और पिन का दुरुपयोग:
- खातों के डेबिट कार्ड, OTP, PIN के द्वारा ट्रांजैक्शन की सुविधा ली गयी।
- FD premature break + overdraft:
- 31 खातों की FDs समय से पहले तोड़कर लगभग ₹1.34 करोड़ राशि प्राप्त की ।
- ‘पूल अकाउंट’ तकनीक:
- एक ग्राहक के खाते में जमा ₹3.22 करोड़ नॉन-स्टैंडर्ड तरीके से पूल अकाउंट बना कर इस्तेमाल किए गए ।
- शेयर बाज़ार में निवेश व डूबना:
- सभी राशि शेयर बाज़ार पर लगा दी गई, जो अंततः डूब गयी; खुद साक्षी ने भी लगभग ₹50 लाख अपने परिवार के खाते से नष्ट कर दिए ।
प्रभावित ग्राहक कौन थे?
- 43 ग्राहक — ज्यादातर बुजुर्ग लोग — जिनकी डिजिटल जागरुकता कम थी;
- शिकायत में एक किसान “रामलाल सुमन” शामिल, जिनके खाते से ₹10 लाख की FD अचानक तोड़ दी गई। पासबुक अपडेट के बहाने ज़रूरी जवाब अनिवारित;
- कई अन्य ग्राहकों का सामना अचानक बैलेंस गायब होने से हुआ, बैंक मैनेजर ने उन्हें व्यक्तिगत तौर पर इसकी सूचनाएं दीं ।
बैंक की आंतरिक खुलासे और कार्रवाई
- ICICI बैंक में मैनेजर तरुण दाधीच ने जनवरी 2025 में पहली गड़बड़ी देखी, जब FD अचानक टूट जाने का कन्फ्यूज मामले सामने आया। उच्च प्रबंधन को सूचना दी गयी ।
- बैंक ने तुरंत जनवरी–फ़रवरी 2025 में आंतरिक रिव्यू शुरू किया और 18 फ़रवरी 2025 को FIR दर्ज करवाई ।
- बैंक ने प्रभावित ग्राहकों के पैसे लौटा दिए ताकि मामला कानूनी दावों में न फंसे, पर पुलिस जांच शुरु हो चुकी है ।
पुलिस की प्रतिक्रिया एवं जांच
- 31 मई 2025 को पुलिस ने साक्षी गुप्ता को रावतभाटा के चारभुजा इलाके से गिरफ्तार किया और एक दिन की रिमांड लेकर जेल भेजा गया ।
- कोटा पुलिस आरोप है कि इस धोखाधड़ी में अन्य बैंक अधिकारियों की संलिप्तता भी हो सकती है, दस्तावेज बैंक से माँगा गया है; जांच जारी है ।
व्यक्तिगत और सामाजिक असर
- साक्षी ने अपनी इस दौलत में लग्ज़री लाइफ जीने की धुन पाल रखी थी: जयपुर‑कोटा शॉपिंग, नई कार, सप्ताहांत फिल्म—सैख्यिक मनोरंजनों में लगी रही ।
- धोखाधड़ी का पता चलने के बाद उसका परिवार और पति अलग हो गए; पति ने नौकरी भी छोड़ दी एवं घर दीन‑हीन स्थिति में लौटे ।
- ग्राहकों का बैंक के प्रति विश्वास टूट गया; उन्होंने मीडिया में सवाल उठाये कि जब बैंक खुद इस व्यवस्था का हिस्सा है तो भरोसा कैसे करेंगे ।
क्या ये एक अकेला प्रकरण है?
इस केस में:
- बड़े पैमाने पर 110 खाते, जमकर ₹4.58 करोड़ की रकम;
- 41–43 ग्राहक प्रभावित;
- धोखाधड़ी ढाई साल तक जारी रही;
- इसमें प्रणालीगत चूक — जैसे मोबाइल, ईमेल बदलना; सिस्टम एक्सेस का अतिरिक्त नुकसान;
- बैंक के अन्य अधिकारियों की जांच की जा रही है कि कहीं और भी कोई मददगार तो शामिल नहीं था ।
जानिए क्या सीख मिलती है
- अपने बैंक खाते पर नियमित निगरानी ज़रूरी
- समय-समय पर एप/इन्टरनेट बैंकिंग/पासबुक अपडेट देखें;
- ऑनलाइन लेनदेन पर ईमेल व मोबाइल अलर्ट सक्रिय रखें।
- मोबाइल नंबर और ईमेल चेक करें
- यदि नंबर/मेल बदले गए हैं, बैंक स्टोर या कस्टमर नंबर से पुष्टि करें।
- BIMO/BIMO Approval + OTP
- OTP और पिन किसी के साथ साझा न करें;
- बैंक स्टाफ से भी साझा न करें।
- सवाल करें, जाँच करवाएँ
- यदि आपको कुछ भी संदिग्ध लगे (जैसे FD खुलना/टूटना), तुरंत शिकायत करें।
- दोस्त/प्रेमी बैंकिंग एक्सेस न दें
- बैंक स्टाफ के पास सिस्टम पहुंच होती हैं — उनका भरोसा वे भरोसा बनाए रखें।
- बड़ी रकम के ट्रांजैक्शन पर विशेष सतर्कता
- महत्वपूर्ण ट्रांजैक्शन के लिए कस्टमर को कॉल या मेल से पुष्टि लेने का प्रस्ताव करें।
आगे की राह: क्या होना चाहिए?
- बैंक को ग्राहकों की जानकारी अपडेट रखें, समय-समय पर सुरक्षा ऑडिट और रैडम सिस्टम चेकिंग करनी चाहिए।
- बैंक कर्मचारियों का प्रमोशन, ट्रांसफर नियमित अंतराल पर हो—ताकि वे अधिक दिन किसी नगर में मौके की तलाश न लाई ज़रूरत।
- तकनीकी सुरक्षा उपाय (2FA, AI‑आधारित ट्रांजैक्शन मॉनिटरिंग, OTP समयबद्ध करें) बढ़ाए जाएँ।
- ग्राहकों को भी जागरूक करें—लेनदेन होने पर तुरंत जांच करें, किसी भी अनियमितता पर पुलिस/बैंक को तुरंत रिपोर्ट करें।
निष्कर्ष
कोटा में आईसीआईसीआई बैंक की रिलेशनशिप मैनेजर साक्षी गुप्ता की धोखाधड़ी एक सिस्टम फ़ेल्योर उजागर करती है जहाँ अकेला एक व्यक्ति सब कुछ कर सकता था, और टेक्नोलॉजी/ऑडिटिंग की कमी के चलते दो वर्षों तक चलता रहा।
यह केस सिर्फ लेन-देन का मामला नहीं, बल्कि भरोसे और बैंकिंग सुरक्षा तंत्र की एक लाल निशानी है।
ग्राहकों को और बैंकिंग संस्थानों को मिलकर यह सिस्टम सुधारना होगा, ताकि भविष्य में ऐसी धोखाधड़ी दोबारा न हो।