मैरिंगो सिम्स ने बोन मैरो हेतु बीएमटी और सेल्युलर थेरेपी यूनिट लॉन्च किया

जयपुर: मैरिंगो सिम्स अस्पताल ने आज ट्रांसप्लांट के पहले और बाद के देखभाल के लिए एक अत्याधुनिक छह-बेड, एचईपीए-फ़िल्टर्ड, एक तरह का अनोखा स्टेप-डाउन बोन मेरो ट्रांसप्लांट और सेल्युलर थेरेपी यूनिट लॉन्च किया। इस यूनिट में पोजिटिवली प्रेशर्ड बीएमटी कमरे शामिल होंगे और इसका नेतृत्व राज्य की सबसे बड़ी बीएमटी टीमों में से एक द्वारा किया जाएगा। मैरिंगो सिम्स अस्पताल में यूनिट का नेतृत्व करने वाले डॉक्टर हैं डॉ. अंकित जीतानी, हेमेटोलॉजिस्ट और बोन मैरो ट्रांसप्लांट फिजिशियन, डॉ. हेमंत मेंघानी, पीडियाट्रिक हेमेटोलॉजिस्ट ऑन्कोलॉजिस्ट और बोन मैरो ट्रांसप्लांट फिजिशियन और डॉ. कौमिल पटेल, कंसल्टेंट हेमेटोलॉजी और बोन मैरो ट्रांसप्लांट।

बोन मेरो ट्रांस्प्लांट की आवश्यकता वाले रोगियों को लाभान्वित करते हुए, यह यूनिट संपूर्ण बोडी इर्रेडियेशन और स्टेम सेल हार्वेस्ट के लिए एक इन-हाउस सुविधा के रूप में काम करेगा। यह सुविधा ऑटोलॉगस (स्वयं की स्टेम कोशिकाएँ) और एलोजेनिक (दाता स्टेम कोशिकाएँ) दोनों प्रत्यारोपणों के लिए स्थापित की गई है, साथ ही पीडियाट्रिक बीएमटी के लिए प्रशिक्षित एक समर्पित कर्मचारी भी है। यह यूनिट सभी ब्लड कैंसर, बेनिन हेमेटोलॉजी रोगों, पीडियाट्रिक सोलिड ट्यूमर और ऑटोइम्यून बीमारियों के लिए एडल्ट और पीडियाट्रिक ट्रांसप्लांट में नैदानिक उत्कृष्टता से सुसज्जित है।

मैरिंगो सिम्स अस्पताल के पीडियाट्रिक हेमेटोलॉजिस्ट ऑन्कोलॉजिस्ट और बोन मैरो ट्रांसप्लांट फिजिशियन डॉ. हेमंत मेंघानी ने इस बात पर जोर देते हुए कहा कि “बच्चों में, बोन मैरो ट्रांसप्लांट रक्त कैंसर (ल्यूकेमिया और लिम्फोमा) जैसी कई बीमारियों को ठीक करने का विकल्प प्रदान करता है, जो दोबारा हो गए हैं या कीमोथेरेपी के प्रति प्रतिक्रिया नहीं दिखाते हैं। पीडियाट्रिक बोन मेरो विफलता सिंड्रोम वह है जहां बोन मेरो ने ब्लड सेल बनाना बंद कर दिया है, पीडियाट्रिक इम्युनोडेफिशिएंसी रोग, उच्च जोखिम वाले पीडियाट्रिक सोलिड ट्यूमर के साथ-साथ थैलेसीमिया और सिकल सेल रोग जैसे रोग जहां असामान्य रक्त गठन होता है और रोगी या तो आधान पर निर्भर होते हैं या सहायक देखभाल पर। पीडियाट्रिक रोगी आम तौर पर अच्छी सफलता दर के साथ बोन मेरो ट्रांसप्लांट के उपचार को अच्छी तरह से सहन करते हैं और आम तौर पर अंतर्निहित बीमारी के कारण अंग क्षति होने से पहले प्रक्रिया को जल्दी करने पर सहमति होती है। पीडियाट्रिक ट्रांसप्लांट में एक अत्यधिक विशिष्ट व्यापक देखभाल टीम की आवश्यकता होती है जो विशेष रूप से बच्चों की गहन देखभाल और परिवार और देखभाल करने वालों के लिए सहायक देखभाल के लिए तैयार हो। हमारा सेन्टर बोन मेरो ट्रांसप्लांट के लिए उच्च जोखिम वाले बाल चिकित्सा मामलों की देखभाल करने में गर्व महसूस करता है क्योंकि हमारे पास एक बहुत ही समर्पित टीम है जो न केवल प्रत्यारोपण अवधि के दौरान बल्कि रोगी और परिवार के लिए प्रत्यारोपण बाद की जटिल यात्रा के दौरान देखभाल प्रदान करने में कुशल है।”

मैरिंगो सिम्स अस्पताल के चेयरमैन डॉ. केयूर परीख ने बताया कि, “भारत में बोन मेरो ट्रांसप्लांट (बीएमटी) लगातार बढ़ रहा है, हर साल लगभग 2,500 ट्रांसप्लांट किए जाते हैं। लगभग पांच साल पहले केवल लगभग 500 प्रत्यारोपण ही किये जाते थे। लेकिन हाल के वर्षों में इसमें वृद्धि देखी गई है। यद्यपि बीएमटी सेन्टर्स की संख्या बढ़ रही है, लेकिन यह भारत में वास्तविक आवश्यकता का 10% से भी कम है और स्वास्थ्य सेवा प्रदाताओं के रूप में यह हमारी जिम्मेदारी है कि निरंतर जागरूकता के माध्यम से ब्लड कैंसर के उपचार को अधिक से अधिक सुलभ बनाया जाए। यूनिट की स्थापना में हमारा प्रयास रोगी परिणामों को बढ़ाने और अनुकूलित करने के उन्हीं लक्ष्यों की ओर निर्देशित है।”

Share This Post

Leave a Reply

Your email address will not be published. Required fields are marked *