साउथ अफ्रीका ने ‘चोकर्स’ का ठप्पा हटाकर WTC में बना इतिहास

वापसी से ICC खिताबी सफर की शुरुआत
1991 में रंगभेद (Apartheid) नीति के कारण 22 साल बाद अंतरराष्ट्रीय क्रिकेट में लौटे साउथ अफ्रीका ने अपने पुराने संघर्ष को पृष्ठभूमि में डालते हुए एक नई शुरुआत की। 1992 में पहले ही विश्व कप में शानदार प्रदर्शन सेमीफाइनल तक पहुँचे। हालांकि, वर्ष 1996 से 2015 के बीच वनडे वर्ल्ड कप में छह बार सेमीफाइनल भी हारे और एक फाइनल में जगह नहीं बना पाए। 2023 में एक बार फिर सेमीफाइनल तक पहुँचे, लेकिन ऑस्ट्रेलिया से हार का सामना करना पड़ा।
सभी फॉर्मेट्स में छाई ‘चोकर्स’ की छाया
वनडे वर्ल्ड कप की निराशाएं
1992 से 2015 तक वनडे वर्ल्ड कप के नॉकआउट राउंड तक पहुँचते-पहुँचते टीम कई बार बाहर हुई। 2003 और 2019 में क्वार्टर फाइनल के दायरे तक भी नहीं पहुंच पाई। 2015 में श्रीलंका को क्वार्टर फाइनल में हराने के बाद सेमीफाइनल में हारकर सफर खत्म होना टीम की नियति बन गई।
टी‑20 वर्ल्ड कप: फाइनल की आस, हार का मंजर
2007 में पहले टी‑20 विश्व कप की मेजबानी की, मगर ग्रुप स्टेज में भारत से हार। 2009 में सेमीफाइनल हार और 2010–2012 में ग्रुप स्टेज में ही बाहर। 2014 तक सेमीफाइनल पहुँचकर भारत से हार। 2024 में पहली बार 30 गेंदों में 30 रन का पीछा करते हुए फाइनल खेलने का मौका मिला—लेकिन भारत से सिर्फ 7 रन से हार गई।
चैंपियंस ट्रॉफी: ढाई दशक का सूखा
1998 में चैंपियंस ट्रॉफी (तब नॉक‑आउट ट्रॉफी) जीतकर उम्मीद जगाई। लेकिन 2000, 2002, 2006, 2013 में सेमीफाइनल हार, और 2004, 2009, 2017 में ग्रुप स्टेज से बाहर हो गए। यह सूखा 26 वर्षों तक चला।
टेस्ट क्रिकेट में असल चुनौती और WTC का सफ़र
2019 में ICC ने टेस्ट फॉर्मेट में WTC शुरू किया। 2023–25 चक्र में साउथ अफ्रीका ने लगातार तीन सीरीज़ जीतकर फाइनल में कदम रखा।
लेकिन लॉर्ड्स फाइनल की शुरुआत कठिन रही—पहली पारी में सिर्फ 138 रन पर ऑल‑आउट। ऑस्ट्रेलिया ने दूसरी पारी में 282 रन की चुनौती दी। तीसरे दिन ऐडेन मार्करम और कप्तान टेम्बा बावुमा ने 147 रनों की साझेदारी निभाकर स्थिति बदल दी।
लॉर्ड्स में ऐतिहासिक जीत
- दिनाँक: 11–14 जून 2025
- प्रतिद्वंदी: ऑस्ट्रेलिया
- स्थान: लॉर्ड्स, लंदन
- परिणाम: ऑस्ट्रेलिया को 5 विकेट से हराकर साउथ अफ्रीका ने WTC खिताब जीता
- स्कोर कार्ड:
- ऑस्ट्रेलिया: 212 & 207
- साउथ अफ्रीका: 138 & 282/5
मैन ऑफ द मैच: ऐडेन मार्करम की कहानी
ऐडेन मार्करम ने लॉर्ड्स में 136 रन की शानदार पारी खेली, जो मैच का कैसेटर्नर साबित हुई। यह साउथ अफ्रीका के लिए ICC फाइनल में उनका पहला शतक था । भावुक होते हुए उन्होंने यह शतक जड़ा और टीम को जीत की राह दी। उन्हें मैन ऑफ द मैच चुना गया ।
कप्तान का योगदान: टेम्बा बावुमा
कप्तान टेम्बा बावुमा ने माना कि ऑस्ट्रेलियाई गेंदबाजों ने उनकी टीम को स्लेजिंग की कोशिशों के दौरान दबाव में रखा, लेकिन टीम ने संयम नहीं खोया और सफलता पाई । उन्होंने 66 रन की अहम पारी खेली और रणजीति में कहानी बदल दी।
कगिसो रबाडा: पेस का धोखा
कगिसो रबाडा ने कुल मिलाकर 9 विकेट लेकर ऑस्ट्रेलियाई बल्लेबाज़ों को चुप कर दिया और शुरुआत देने में अहम भूमिका निभाई ।
27 साल का ICC सूखा समाप्त
1998 के चैंपियंस ट्रॉफी के बाद यह साउथ अफ्रीका की पहली ICC ट्रॉफी थी । यह 27 वर्षों का सूखा टूटना था, जिसने ‘चोकर्स’ का टैग साफ़ कर टीम को चैंपियंस की श्रेणी में पहुँचा दिया ।
वैश्विक और घरेलू प्रतिक्रियाएं
- ICC अध्यक्ष जय शाह ने इसे “a performance for the ages” बताया ।
- समाचार एजेंसियों ने इसे ‘क्रिकेट इतिहास का साक्षी पल’ और ‘चोकर्स का सफाया’ बताया ।
- विशेषज्ञों ने रेखांकित किया कि यह जीत सिर्फ टीम के लिए नहीं, बल्कि रंगभेद ढांचे को पार कर नई पहचान हासिल करने वाली दक्षिण अफ्रीकी जातीय विविधता का प्रतीक है ।
क्या साउथ अफ्रीका वाकई ‘चोकर्स’ से आज़ाद हो गया?
बेहतर साझेदारियों, मानसिक मजबूती और रणनीतिक बदलाव ने बड़े फाइनलों में लगातार विफलताओं का सिलसिला तोड़ दिया। लॉर्ड्स की यह जीत न केवल WTC ट्रॉफी थी, बल्कि मनोबल और टीम संस्कृति में नया विश्वास स्थापित करने वाली घटना भी।
इस जीत का भविष्य दृष्टिकोण
- साउथ अफ्रीका अब टेस्ट क्रिकेट में शीर्ष खेमे में शामिल हो गया है।
- यह जीत आने वाले WTC (2025–27) और अन्य ICC टूर्नामेंटों में नई उम्मीद जगाती है।
- देश में युवा प्रतिभाओं को पहचान मिली और घरेलू संरचना मजबूत हुई है।
इस तरह, 34 साल बाद ‘चोकर्स’ की छवि को मिटाकर साउथ अफ्रीका ने लॉर्ड्स के मैदान में अपनी पहचान को ‘वर्ल्ड चैंपियन’ के रूप में परिभाषित किया और क्रिकेट की दुनिया में अपनी जगह मजबूत की।