स्टारलिंक भारत में लॉन्च करने के लिए तैयार: हाई-स्पीड सैटेलाइट इंटरनेट ₹840/माह से शुरू, ग्रामीण कनेक्टिविटी को लक्षित

एलन मस्क की कंपनी स्पेसएक्स की सैटेलाइट इंटरनेट सेवा स्टारलिंक (Starlink) भारत में लॉन्चिंग के करीब है। दूरसंचार विभाग (DoT) ने स्टारलिंक को ग्लोबल मोबाइल पर्सनल कम्युनिकेशन बाय सैटेलाइट (GMPCS) लाइसेंस के लिए “लेटर ऑफ इंटेंट” (LoI) जारी किया है, जिससे यह संकेत मिलता है कि स्टारलिंक जल्द ही भारत में अपनी सेवाएं शुरू कर सकता है।


🇮🇳 भारत में स्टारलिंक: एक नई शुरुआत

स्टारलिंक, स्पेसएक्स की एक परियोजना है, जो लो-अर्थ ऑर्बिट (LEO) सैटेलाइट्स के माध्यम से उच्च गति और कम लेटेंसी वाली इंटरनेट सेवा प्रदान करती है। इसका उद्देश्य उन क्षेत्रों में इंटरनेट कनेक्टिविटी प्रदान करना है, जहाँ पारंपरिक ब्रॉडबैंड सेवाएं उपलब्ध नहीं हैं।


लाइसेंस प्रक्रिया और नियामकीय मंजूरी

स्टारलिंक को भारत में सेवाएं शुरू करने के लिए दो प्रमुख मंजूरियाँ प्राप्त करनी होती हैं:

  1. GMPCS लाइसेंस: दूरसंचार विभाग (DoT) ने स्टारलिंक को GMPCS लाइसेंस के लिए “लेटर ऑफ इंटेंट” जारी किया है।
  2. IN-SPACe की मंजूरी: इसके बाद, स्टारलिंक को भारतीय अंतरिक्ष प्राधिकरण (IN-SPACe) से अंतिम मंजूरी प्राप्त करनी होगी।

इन मंजूरियों के बाद, स्टारलिंक भारत में अपनी सेवाएं शुरू कर सकेगा।


संभावित कीमतें और योजनाएँ

हार्डवेयर किट

स्टारलिंक की सेवा का उपयोग करने के लिए उपयोगकर्ताओं को एक हार्डवेयर किट की आवश्यकता होगी, जिसमें सैटेलाइट डिश, राउटर और अन्य उपकरण शामिल होंगे। इस किट की कीमत लगभग ₹29,700 से ₹50,000 के बीच हो सकती है, जो मॉडल और सुविधाओं पर निर्भर करेगी। indiatimes.com

मासिक प्लान

स्टारलिंक भारत में अपनी सेवाएं ₹810 से ₹850 प्रति माह की प्रारंभिक कीमत पर शुरू कर सकता है, जिसमें अनलिमिटेड डेटा प्लान शामिल होंगे। यह मूल्य निर्धारण रणनीति कंपनी को भारतीय बाजार में प्रतिस्पर्धात्मक बढ़त प्रदान कर सकती है।


किन्हें होगा स्टारलिंक से लाभ?

स्टारलिंक की सेवाएं विशेष रूप से उन क्षेत्रों के लिए फायदेमंद होंगी जहाँ पारंपरिक इंटरनेट इंफ्रास्ट्रक्चर नहीं पहुंच पाया है:

  • ग्रामीण और दूरदराज़ के क्षेत्र: जहाँ फाइबर या मोबाइल नेटवर्क की सुविधा नहीं है।
  • शिक्षा और स्वास्थ्य सेवाएं: स्कूल, कॉलेज और ग्रामीण स्वास्थ्य केंद्रों को विश्वसनीय इंटरनेट कनेक्टिविटी मिल सकती है।
  • व्यवसाय और स्टार्टअप्स: रिमोट वर्क, फ्रीलांसिंग और ऑनलाइन बिजनेस के लिए बेहतर कनेक्टिविटी।
  • आपातकालीन सेवाएं: प्राकृतिक आपदाओं के समय राहत और बचाव कार्यों में मदद।
  • पर्यटन और एडवेंचर उद्योग: दूरस्थ रिसॉर्ट्स, ट्रेकिंग व्यवसाय और रिमोट होटलों में हाई-स्पीड इंटरनेट की सुविधा।

चुनौतियाँ और चिंताएँ

  • उच्च प्रारंभिक लागत: स्टारलिंक की हार्डवेयर किट की कीमत ₹29,700 से ₹50,000 के बीच हो सकती है, जो कई उपयोगकर्ताओं के लिए महंगी हो सकती है।
  • मौसम पर निर्भरता: भारी बारिश, तूफान और पेड़ों या इमारतों की बाधाएं सिग्नल की गुणवत्ता को प्रभावित कर सकती हैं।
  • प्रतिस्पर्धा: स्थानीय टेलीकॉम कंपनियाँ जैसे जियो और एयरटेल पहले से ही सस्ती और तेज़ ब्रॉडबैंड सेवाएं प्रदान कर रही हैं।

निष्कर्ष

स्टारलिंक भारत में डिजिटल डिवाइड को कम करने की दिशा में एक महत्वपूर्ण कदम हो सकता है, विशेष रूप से उन क्षेत्रों में जहाँ पारंपरिक इंटरनेट सेवाएं उपलब्ध नहीं हैं। हालाँकि, इसकी उच्च प्रारंभिक लागत और अन्य चुनौतियाँ इसके व्यापक अपनाने में बाधा बन सकती हैं। भविष्य में, यदि सरकार सब्सिडी प्रदान करती है या स्टारलिंक लागतों को कम करता है, तो यह सेवा अधिक लोगों के लिए सुलभ हो सकती है।

Share This Post

Leave a Reply

Your email address will not be published. Required fields are marked *