नहाय-खाय के साथ 17 से शुरू होगा आस्था का महापर्व छठ…

लखनऊ : हिंदू धर्म के तमाम बड़े त्योहारों में छठ पूजा का भी विशेष महत्व है। छठ का पर्व कार्तिक माह के शुक्ल पक्ष की चतुर्थी तिथि पर नहाय खाय से शुरू होता है। पंचमी को खरना, षष्ठी को डूबते सूर्य को अर्घ्य और सप्तमी को उगते सूर्य को जल अर्पित कर व्रत संपन्न किया जाता है। चार दिन चलने वाला इस पर्व में सूर्य और छठी मैय्या की पूजा की जाती है। इस दिन व्रत रखा जाने वाला व्रत बेहद कठिन माना जाता है, क्योंकि इस व्रत को 36 घंटों तक कठिन नियमों का पालन करते हुए रखा जाता है। यह व्रत संतान की लंबी उम्र, उत्तम स्वास्थ्य और उज्जवल भविष्य की कामना के लिए रखा जाता है। छठ पूजा का व्रत रखने वाले लोग 24 घंटे से अधिक समय तक निर्जला उपवास रखते हैं। पंचांग के अनुसार, इस साल छठ पर्व की शुरूआत 17 नवंबर से हो रही है, जिसका समापन 20 नवंबर को होगा। छठ में सूर्य देव की उपासना की जाती है। इसके साथ ही यह पर्व उषा, प्रकृति, जल, वायु और सूर्यदेव की बहन षष्ठी माता को समर्पित है। यह व्रत संतान और सुहाग की दीघार्यु, घर की सुख.समृद्धि व उन्नति के लिए रखा जाता है। मान्यता है किए आप जिस मनोकामना के साथ छठ व्रत रखेंगे, आपकी वह मनोकामना जरूर पूरी होगी।

: नहाय-खाय कब है छठ पूजा का यह महापर्व चार दिन तक चलता है। इसका पहला दिन नहाय.खाय होता है। इस साल नहाय-खाय 17 नवंबर को है। इस दिन सूर्योदय 06:45 बजे होगा, वहीं, सूर्यास्त शाम 05:27 बजे होगा। बता दें कि छठ पूजा की नहाय खाय परंपरा में व्रती नदी में स्नान के बाद नए वस्त्र धारण कर शाकाहारी भोजन ग्रहण करते हैं। इस दिन व्रती के भोजन ग्रहण करने के बाद ही घर के बाकी सदस्य भोजन ग्रहण करते हैं। खरना की तिथि खरना छठ पूजा का दूसरा दिन होता है। इस साल खरना 18 नवंबर को है।

: इस दिन का सूर्योदय सुबह 06:46 बजे और सूर्यास्त शाम 05:26 बजे होगा। बता दें किए खरना के दिन व्रती एक समय मीठा भोजन करते हैं। इस दिन गु़ड़ से बनी चावल की खीर खाई जाती है। इस प्रसाद को मिट्टी के नए चूल्हे पर आम की लकड़ी से आग जलाकर बनाया जाता है। इस प्रसाद को खाने के बाद व्रत शुरू हो जाता है, हालांकि इस दिन नमक नहीं खाया जाता हैं। छठ पूजा पर संध्या अर्घ्य का समय छठ पूजा का सबसे महत्वपूर्ण तीसरा दिन संध्या अर्घ्य का होता है। इस दिन व्रती घाट पर आकर डूबते सूर्य को अर्घ्य देते हैं। इस साल छठ पूजा का संध्या अर्घ्य 19 नवंबर को दिया जाएगा। 19 नवंबर को सूर्यास्त शाम 05:26 बजे होगा। बता दें कि छठ पूजा का तीसरा दिन बहुत खास होता है- इस दिन टोकरी में फलों, ठेकुआ, चावल के लड्डू आदि अर्घ्य के सूप को सजाया जाता है। इसके बाद नदी या तालाब में कमर तक पानी में रहकर अर्घ्य दिया जाता है। उगते सूर्य को अर्घ्य देने का समय चौथा दिन यानी सप्तमी तिथि छठ महापर्व का अंतिम दिन होता है।

: इस दिन उगते सूर्य को अर्घ्य देने के बाद व्रत का पारण का होता है। इस साल 20 नवंबर को उगते सूर्य को अर्घ्य दिया जाएगा। इस दिन सूर्योदय सुबह 06:47 बजे होगा, इसके बाद ही 36 घंटे का व्रत समाप्त होता है। माना जाता है कि छठ पूजा में मन.तन की शुद्धता बहुत जरूरी है। अर्घ्य देने के बाद व्रती प्रसाद का सेवन करके व्रत का पारण करती हैं। छठ महापर्व की तिथियां नहाय खाय का दिन-नहाय खाय 17 नवंबर शुक्रवार के दिन किया जाएगा। खरना की तारीख-खरना 18 नवंबर शनिवार के दिन है। छठ पूजा का संध्या अर्घ्य- छठ पूजा का संध्या अर्घ्य 19 नवंबर को दिया जाएगा। प्रसाद बनाते समय ध्यान रखें ये बातें छठ पूजा में पवित्रता और स्वच्छता का विशेष ध्यान रखा जाता है। ऐसे में छठ पूजा का प्रसाद बनाते समय इसे भूलकर भी इसे जूठा न करें, साथ ही इसे बनाने से पहले कुछ भी नहीं खाना चाहिए। अपनी स्वच्छता का पूर्ण रूप ले ध्यान रखें। साथ ही प्रसाद बनाने वाली जगह भी एक दम साफ होनी चाहिए। छठ पूजा में इन बातों का रखें ध्यान ध्यान रहे कि छठ पूजा का प्रसाद बनाते समय चांदीए स्टील और प्लास्टिक के बर्तनों का इस्तेमाल नहीं करना चाहिए। इसके स्थान पर मिट्टी के चूल्हे और बर्तनों का ही इस्तेमाल करना शुभ माना जाता है।

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