इनडीड और फॉरेस्टर कंसल्टिंग का अध्ययन

बेंगलुरु:  इनडीड और फॉरेस्टर कंसल्टिंग द्वारा तैयार की गई एक संयुक्त रिपोर्ट में सामने आया है कि भारतीय संस्थानों में काम करने वाले केवल 24% कर्मचारी ही अपने कार्यस्थलों पर काफ़ी अच्छा महसूस करते हैं। यह समस्या पूरे विश्व की है, सर्वे के मुताबिक़ भारतीय संस्थानों में खुशहाल कर्मचारियों की संख्या वैश्विक औसत- 25% के लगभग बराबर है।

“वर्क वेलबीइंग इन इंडिया 2023 रिपोर्ट: हाउ थ्राइविंग पीपल क्रिएट थ्राइविंग कंपनीज़” शीर्षक की इस रिपोर्ट का उद्देश्य कर्मचारियों की ख़ुशहाली के आंकड़ों की माप करना और नौकरी के प्रदर्शन, कार्यस्थल उत्पादकता एवं संगठनों में कर्मचारी के रिटेंशन लेवल आदि पर उनके प्रभाव को पहचानना था। ऑक्सफोर्ड यूनिवर्सिटी में वैलनेस रिसर्च सेंटर के अनुसार, ऐसे कर्मचारी निम्नलिखित गुण या अनुभव प्रदर्शित करते हैं – नौकरी से अत्यधिक संतुष्ट, काम को लेकर बहुत कम तनाव, अत्यधिक सकारात्मकता/खुशी, और संस्थान में अपनी भूमिका को लेकर स्पष्ट उद्देश्य।

कम ख़ुशहाली अक्सर नेतृत्व की समस्याओं का संकेत है

सर्वे में शामिल 67% से ज़्यादा कर्मचारियों ने माना कि कार्यस्थल पर उनकी ख़ुशहाली की ज़िम्मेदारी उनके नियोक्ता की है। अधिकांश कर्मचारियों (93%) ने कहा कि उनका मैनेजर सहानुभूतिपूर्ण नेतृत्व प्रदर्शित करता है, 87% ने बताया कि उनका मैनेजर उदाहरण द्वारा नेतृत्व करता है। सर्वे में शामिल 69% कर्मचारियों के मुताबिक़ उनके संगठनों में वरिष्ठ नेतृत्व उनसे चाहता है कि वो अपने निर्धारित दायित्वों से बढ़कर काम करें।

इनडीड इंडिया के हेड ऑफ़ सेल्स, श्री सशि कुमार ने कहा, “कार्यस्थल पर खुशहाली हमारे दैनिक जीवन का एक महत्वपूर्ण हिस्सा है, फिर चाहे हम रिमोट काम करें या ऑफिस में। हमारे द्वारा किए गए अध्ययनों में सामने आया है कि आगे चलकर कार्यस्थल पर खुशहाली के ऊपर ज़्यादा ज़ोर दिया जाएगा।”

नियोक्ताओं को जेन ज़ी के साथ पीढ़ीगत समस्या होती है 

18 से 26 साल के जेन ज़ी समूह (20%) अपने के ज़्यादा उम्र के मिलेनियल्स (24%) और जेन-एक्स (27%) की तुलना में कम खुशहाल कर्मचारी हैं। 67% जेन ज़ी कर्मचारियों का मानना है कि उनके नियोक्ता ख़ुशहाली और कल्याण को व्यवसायिक सफलता से जोड़ते हैं। मिलेनियल्स और जेन-एक्स के मामले में ये आंकड़े 78% और 74% थे। यह अंतर एचआर और रिक्रूटमेंट मैनेजर्स के लिए बड़ी चुनौतियाँ पेश करता है क्योंकि 88% से ज़्यादा लोगों का मानना है कि ऐसी कंपनियों को ढूंढना महत्वपूर्ण है जो आप कैसा महसूस करते हैं, इसकी परवाह करती हैं।

व्यवसायों के लिए मुख्य सार

लचीली कार्य व्यवस्था और हाइब्रिड कार्य द्वारा कार्य और जीवन के बीच बेहतर संतुलन की मांग बढ़ रही है। नियोक्ताओं को भी ‘हसल संस्कृति’ के मामले में अपनी अपेक्षाओं को कम करना ज़रूरी है। कर्मचारियों की ख़ुशहाली और संतुष्टि पर मैनेजर्स का बड़ा प्रभाव हो सकता है। आईटी और सॉफ्टवेयर इंजीनियरिंग जैसे महत्वपूर्ण क्षेत्रों में प्रतिभा की लगातार बढ़ती कमी को देखते हुए भारत में नियोक्ता कर्मचारियों की ख़ुशहाली को नजरअंदाज नहीं कर सकते।

कार्यप्रणाली:

इनडीड द्वारा कमीशन किए गए इस अध्ययन में फॉरेस्टर ने भारत में 2,132 उत्तरदाताओं का एक ऑनलाइन सर्वे कर उनकी ख़ुशहाली का आकलन किया था। यह सर्वे एक्टिव वर्क फ़ोर्स में शामिल वयस्कों के बीच किया गया (अर्थात, वो 18+ वयस्क, जो पूर्णकालिक, अंशकालिक काम कर रहे हैं, या जो दो साल से कम समय से बेरोजगार हैं, और नए अवसरों को स्वीकार करने के लिए तैयार हैं।)

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