द हैबिटैट्स ट्रस्ट की फिल्म ‘ऑन द ब्रिंक – घड़ियाल’ ने सामाजिक और पर्यावरणीय मूल्य को बढ़ावा देने वाली सर्वश्रेष्ठ नॉन-फीचर फिल्म का राष्ट्रीय पुरस्कार जीता

दिल्ली: आज द हैबिटैट्स ट्रस्ट (टीएचटी) ने राष्ट्रीय पुरस्कार विजेता फिल्म, ‘ऑन द ब्रिंक – घड़ियालकी एक्सक्लुसिव स्क्रीनिंग की। इस फिल्म का निर्देशन द गाइया पीपुल की प्रसिद्ध प्राकृतिक इतिहास फिल्मनिर्माता आकांक्षा सूद ने किया है। हैबिटैट्स ट्रस्ट द्वारा प्रस्तुत एवं एचसीएल और द गाइया पीपुल द्वारा सहनिर्मित इस फिल्म को 70वें राष्ट्रीय फिल्म पुरस्कारों में सामाजिक और पर्यावरणीय मूल्यों को बढ़ावा देने वाली सर्वश्रेष्ठ नॉन-फीचर फिल्म का पुरस्कार मिला है। यह फिल्म ऑन द ब्रिंक सीरीज़ के सीज़न 2 का हिस्सा है। इसकी स्क्रीनिंग इंडिया हैबिटैट सेंटर में की गई, जिसमें संरक्षणविदों, मीडिया कर्मियों और पर्यावरण के समर्थकों ने हिस्सा लिया और जैव विविधता के संरक्षण की आपात जरूरत पर जोर दिया। 

इस स्क्रीनिंग से पहले ऑन द ब्रिंक – घड़ियाल को 8 अक्टूबर, 2024 को विज्ञान भवन में आयोजित किए गए राष्ट्रीय फिल्म पुरस्कार समारोह में सम्मानित किया गया था, जहाँ एचसीएलटेक की चेयरपर्सन और द हैबिटैट्स ट्रस्ट की संस्थापक, रोशनी नादर मल्होत्रा को यह प्रतिष्ठित पुरस्कार सौंपा गया।

इस फिल्म में चंबल नदी की खोज की गई है, जो विलुप्त होते घड़ियालों का अंतिम प्राकृतिक आवास है। कुछ ही समय पहले घड़ियाल भारत की सबसे स्वच्छ नदियों में से एक में रहने के बावजूद विलुप्ति के कगार पर थे। इस व्यापक मिशन के अंतर्गत द हैबिटैट्स ट्रस्ट फिल्म के माध्यम से संरक्षण के प्रति जागरुकता बढ़ा रहा है और स्टोरीटैलिंग द्वारा प्राकृतिक दुनिया के प्रति लोगों को भावनाशील बना रहा है। टीएचटी के यूट्यूब पेज (www.youtube.com/@thehabitatstrust) पर हिंदी, मराठी, तमिल, मलयालम, बंगाली और भारत के उत्तर पूर्व क्षेत्र की कई भाषाओं में 190 से ज्यादा फिल्में मौजूद हैं, जो सभी विभिन्न प्रजातियों और उनके आवास की रक्षा के लिए जमीनी स्तर पर काम कर रहे वैज्ञानिकों, शोधकर्ताओं, समुदायों और संरक्षणवादियों पर केंद्रित हैं। 

द हैबिटैट्स ट्रस्ट के हेड, श्री रुषिकेश चवन ने कहा, ‘‘फिल्में स्टोरीटैलिंग और पहुँच बढ़ाने का शक्तिशाली माध्यम होती हैं।’’ उन्होंने आगे कहा, ‘‘फिल्में हमें कई तरीकों से संरक्षण का महत्व समझाने में समर्थ बनाती हैं, जो विभिन्न क्षेत्रों और भाषाओं के लोगों को जुड़े हुए महसूस होते हैं और समझ में आते हैं। इसीलिए हमने अपने यूट्यूब चैनल पर ये फिल्में निशुल्क रखी हैं। हमारी ऑन द ब्रिंक – घड़ियाल और अन्य सभी फिल्मों के साथ हम संरक्षण की महत्वपूर्ण जरूरत को संबोधित कर रहे हैं और दर्शकों को इस दिशा में कदम उठाने की प्रेरणा दे रहे हैं।’’

इस फिल्म की स्क्रीनिंग में ग्राउंडः नॉर्थईस्ट से भी कहानियों का प्रिव्यू पेश किया गया। यह डस्टी फुट प्रोडक्शंस के सहयोग से द हैबिटैट्स ट्रस्ट द्वारा निर्मित आगामी सीरीज़ है। इस सीरीज़ में स्थानीय फिल्मनिर्माताओं की 50 शॉर्ट फिल्में शामिल हैं, जो इस पूरे क्षेत्र में घूमते हुए उत्तर-पूर्व भारत की अद्वितीय जैवविविधता, संस्कृति और परंपराओं का प्रदर्शन करती हैं।

ऑन द ब्रिंक सीरीज़ की डायरेक्टर, आकांक्षा सूद सिंह ने संरक्षण में विज़्युअल स्टोरीटैलिंग के महत्व के बारे में कहा, ‘‘फिल्मों में भावनाएं जगाने और संपर्कों के निर्माण की अद्वितीय क्षमता होती है। कम ज्ञात प्रजातियों, जैसे घड़ियाल की कहानियाँ दिखाकर हम लोगों को यह समझाना चाहते हैं कि इन प्रजातियों का अस्तित्व हमारे परिवेश के लिए कितना आवश्यक है।’’

ऑन द ब्रिंक सीरीज़ लगातार पर्यावरण की जागरुकता बढ़ाती आई है। चमगादड़ों पर केंद्रित इसके धारावाहिक को 2022 में 68वें राष्ट्रीय फिल्म पुरस्कार में सर्वश्रेष्ठ साईंस एंड टेक्नोलॉजी फिल्म का पुरस्कार मिला था, जिससे भारत की जैवविविधता के लिए महत्वपूर्ण कम ज्ञात प्रजातियों की ओर ध्यान आकर्षित करने में इस फिल्म का प्रभाव और ज्यादा मजबूत हुआ था।

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