सर्वे के अनुसार, भारत के छोटे व्यवसायों को विकास और रोजगार में दिख रही है नई उम्मीदें

[नई दिल्ली, 6 मई 2025] – दुनिया की जानीमानी अकाउंटिंग संस्थाओं में से एक, सीपीए ऑस्ट्रेलिया द्वारा किए गए 16वें एशिया-प्रशांत छोटे व्यवसाय सर्वेक्षण के अनुसार, भारत का छोटा व्यवसाय क्षेत्र एशिया-प्रशांत क्षेत्र में सबसे गतिशील और आशावादी क्षेत्रों में से एक है। सर्वे के नतीजों से पता चला है कि भारत के 78% छोटे व्यवसायों ने पिछले साल विकास किया, जिससे देश मे महामारी के बाद की मजबूत वापसी दिखाई देती है।
श्री प्रफुल्ल छाजेड़, जो सीपीए ऑस्ट्रेलिया के सर्टिफाइड प्रैक्टिसिंग अकाउंटेंट हैं और भारत में 30 से ज्यादा सालों का अकाउंटिंग और फाइनेंस का अनुभव रखते हैं, उन्होंने कहा कि, “यह तेजी एक सक्रिय व्यवसायिक माहौल, इनोवेशन पर जोर देने और तेजी से हो रहे डिजिटल बदलाव की वजह से आई है।”
व्यवसायों का मनोबल काफी मज़बूत है, क्योंकि 86% लोगों को उम्मीद है कि उनका व्यवसाय इस साल काफी बढ़ेगा। एक और खास बात यह है कि भारत के छोटे व्यवसाय अब निर्यात (एक्सपोर्ट) पर ज्यादा ध्यान दे रहे हैं। जिसके चलते 64% लोगों को उम्मीद है कि इस साल उनकी विदेशों में बिक्री बढ़ेगी, जो बाकी कई देशों से ज्यादा है।
श्री प्रफुल्ल छाजेड ने बताया कि, “भारत की माइक्रो, स्मॉल और मीडियम एंटरप्राइजेज (एमएसएमई) तेजी से बदलते आर्थिक माहौल में भी अच्छा काम कर रहे हैं। उनका आत्मविश्वास, टेक्नोलॉजी और इनोवेशन को अपनाने की इच्छा, साथ ही नए बाजारों को खोजने की सोच उन्हें भारत की तेजी से बढ़ती अर्थव्यवस्था का एक मजबूत आधार बनाती है।”
एमएसएमई के बीच जो सकारात्मक सोच दिख रही है, वह देश और विदेश दोनों कारणों से है। देश के अंदर, तकनीकी तरक्की, बेहतर बुनियादी ढांचा जैसे तेज़ इंटरनेट कनेक्टिविटी, और सरकार की एमएसएमई के लिए फाइनेंस और डिजिटल तकनीक को बढ़ावा देने वाली नीतियों ने छोटे व्यवसायों के विकास के लिए एक अनुकूल माहौल बनाया है।
“भारतीय उत्पादों और सेवाओं की दुनिया भर में बढ़ती मांग ने एमएसएमई को और मज़बूत किया है, जिससे कई छोटे व्यवसाय ज़्यादा मुनाफे के लिए निर्यात करने के लिए प्रेरित हो रहे हैं। सरकार की योजनाएं, जो आर्थिक मदद और निर्यात में सहयोग देती हैं, उन्होंने भी एमएसएमई को अंतरराष्ट्रीय स्तर पर अपने व्यवसाय को बढ़ाने के लिए प्रोत्साहित किया है।”
हालांकि, बढ़ते खर्च कई छोटे व्यवसायों के लिए एक बड़ी चुनौती बने हुए हैं। पिछले साल, 40% लोगों ने बताया कि उनका सबसे बड़ा मुद्दा खर्चों में बढ़ोतरी था। इसी दबाव को दिखाते हुए, वर्ष 2024 में जिन 72% व्यवसायों ने बाहर से फंड की जरूरत बताई, उनमें से 34% ने कहा कि उन्हें फाइनेंस की ज़रूरत बढ़ते खर्चों की वजह से पड़ी।
इसके बावजूद, फाइनेंस यानी धन की व्यवस्था करना अभी भी काफी हद तक आसान बना हुआ है। वर्ष 2024 में जिन व्यवसायों ने बाहर से फंड लेने की कोशिश की, उनमें से 43% ने बताया कि उन्हें फाइनेंस पाना आसान लगा। यह रुझान इस साल भी जारी रहने की उम्मीद है, क्योंकि 39% व्यवसायों को लगता है कि उन्हें फाइनेंस आसानी से मिल जाएगा।
श्री प्रफुल्ल छाजेड ने आगे बताया कि, “सरकार एमएसएमई को बढ़ावा देने के लिए उन्हें वित्तीय मदद देने वाली कई योजनाओं के जरिए फाइनेंशियल इनक्लूजन (वित्तीय समावेशन) पर जोर दे रही है। 1 अप्रैल 2025 से लागू नए नियमों के तहत सरकार ने एमएसएमई की श्रेणियों को फिर से तय किया है। छोटे व्यवसायों को टर्नओवर और निवेश से जुड़ी बदली हुई शर्तों पर ध्यान देना चाहिए, जिनमें सीमा बढ़ाई गई है और ज्यादा वित्तीय सहायता का प्रावधान है। इन बदलावों से ज्यादा कंपनियों को रियायती लोन, बिना गारंटी वाले लोन और राज्य सरकार की अन्य योजनाओं का फायदा आसानी से मिल सकेगा।”
एक और अहम परिणाम यह है कि रोजगार सृजन में तेजी आई है। वर्ष 2024 में, 46% भारतीय छोटे व्यवसायों ने अपनी कर्मचारियों की संख्या बढ़ाने की बात की, जिससे वे एशिया-प्रशांत क्षेत्र के सर्वे किए गए देशों में सबसे बड़े नौकरी देने वाले बन गए। इस साल और भी बेहतर परिणाम की उम्मीद है, क्योंकि 64% व्यवसायों ने अधिक कर्मचारियों को नियुक्त करने की योजना बनाई है, जो सर्वे का औसत 45% से काफी ज्यादा है।
लोग भारत के छोटे व्यवसायों के लिए किसी संपत्ति से कम नहीं हैं। वर्ष 2024 में अच्छे कर्मचारी उनके व्यवसायों के विकास में सबसे प्रभावशाली सकारात्मक कारण बनकर सामने आए हैं। भारत में 40 साल से कम उम्र वाले ज़्यादा संख्या में छोटे व्यवसायों के मालिक या दिग्गज है, जो अपने व्यवसायों को बखूबी चला रहे हैं और यह युवा उद्यमी ऐसे व्यवसाय चला रहे हैं जो लगातार बढ़ रहे हैं और नई नौकरियाँ बना रहे हैं।
छोटे व्यवसाय इनोवेशन पर ज्यादा ध्यान दे रहे हैं। वर्ष 2025 में, 78% भारतीय छोटे व्यवसाय भारत या दुनिया के लिए नया उत्पाद, आसान प्रक्रिया या सेवा लाकर इनोवेशन करने का इरादा रखते हैं। इसके अलावा, वर्ष 2024 में व्यवसायों ने आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस (AI) को अपनी मुख्य टेक्नोलॉजी निवेश के रूप में पहचाना है।
श्री छाजेड़ ने आगे कहा कि, “छोटे व्यवसाय न केवल नौकरी सृजन करते हैं, बल्कि अगली पीढ़ी के उद्यमियों को भी बढ़ावा देते हैं। इस तकनीकी-आधारित युग में, भारत की बड़ी तादाद में युवा जनसंख्या आर्थिक गति को आगे बढ़ा रही है। डिजिटल पीढ़ी के रूप में, वे इनोवेशन करने और उभरती हुई टेक्नोलॉजी का सही तरीके से इस्तेमाल करने के लिए पूरी तरह तैयार हैं।”
“सरकारी योजनाओं जैसे स्टैंड-अप इंडिया और स्टार्टअप इंडिया का लाभ उठाकर, जो वित्तीय और बुनियादी ढांचे का समर्थन देती हैं, कई युवा भारतीयों को अपने खुद के व्यवसाय को शुरू करने और उसे बढ़ाने का सुनहरा अवसर मिल रहा है, और यह पहले से कहीं ज्यादा आसान हो गया है।”
“चूंकि असमान आय और नकदी प्रवाह (कैश फ्लो) उद्यमियों के लिए खासकर उनके व्यवसायों के शुरुआती दौर में एक बड़ी चिंता का विषय होती है, इसलिए उन्हें अकाउंटेंट्स और वित्तीय सलाहकारों से पेशेवर मदद लेने पर विचार करना चाहिए। विशेषज्ञ मार्गदर्शन उन्हें नकदी प्रवाह को सही तरीके से प्रबंधित करने और वित्तीय चुनौतियों का सामना अधिक आत्मविश्वास के साथ करने में मदद कर सकता है।”
सीपीए ऑस्ट्रेलिया द्वारा किए गए वार्षिक सर्वेक्षण में नवंबर और दिसंबर 2024 में 11 एशिया-प्रशांत देशों के 4,236 छोटे व्यवसायों से प्रतिक्रियाएँ प्राप्त की गईं, जिनमें से लगभग 507 व्यवसाय भारत से थे। इन सभी व्यवसायों में 20 से कम कर्मचारी थे।