बढ़ती मांग के बीच कैंब्रिज की चेकपॉईंट टेस्ट सीरीज़ का विस्तार हुआ
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कैंब्रिज, यूके, 20 फरवरी, 2025 – कैंब्रिज यूनिवर्सिटी प्रेस एंड एसेसमेंट में इंटरनेशनल एजुकेशन ग्रुप द्वारा कैंब्रिज चेकपॉईंट टेस्ट सीरीज़ का विस्तार किया जा रहा है। ये टेस्ट स्कूलों को प्राईमरी और लोअर सेकंडरी स्टूडेंट्स की लर्निंग की जरूरतों को समझने में मदद करते हैं। पिछले साल अंतर्राष्ट्रीय स्तर पर अपने लर्नर्स की परफॉर्मेंस का आकलन करने के लिए 101 देशों के 1600 से अधिक स्कूलों ने कैंब्रिज चेकपॉईंट टेस्ट्स का उपयोग किया। कैंब्रिज बढ़ती वैश्विक मांग को पूरा करने के लिए मई और अक्टूबर के अलावा 2026 से मार्च में तीसरी टेस्ट सीरीज़ शुरू कर रहा है। कैंब्रिज हर सीरीज़ के लिए एक सप्ताह का टाईमटेबल भी पेश कर रहा है, और यह मई सीरीज़ की तारीखें स्कूलों की जरूरतों के अनुरूप आगे बढ़ा रहा है।
कैंब्रिज चेकपॉईंट टेस्ट मैथमैटिक्स, इंग्लिश और साईंस में प्रगति का मूल्यांकन करते हैं। लर्नर कैंब्रिज प्राईमरी (10 से 11 साल) या लोअर सेकंडरी एजुकेशन (13 से 14 साल) के अंत में इन टेस्ट में बैठते हैं। कैंब्रिज परीक्षक इन टेस्ट की जाँच करते हैं और हर स्कूल को एक डायग्नोस्टिक फीडबैक रिपोर्ट प्रदान करते हैं, जो व्यक्ति और समूह की परफॉर्मेंस को मॉनिटर करने में मदद करती है। ये रिपोर्ट स्कूलों को लर्नर की जरूरतों के बारे में निर्णय लेने में समर्थ बनाती हैं और उन्हें यह समझने में मदद करती हैं कि दुनिया में स्थित कैंब्रिज इंटरनेशनल स्कूलों की तुलना में उनके लर्नर्स की परफॉर्मेंस कैसी है।
अंतर्राष्ट्रीय शिक्षा के विकास के साथ कैंब्रिज चेकपॉईंट टेस्ट की मांग बढ़ रही है। कैंब्रिज को 2024 में कैंब्रिज प्राईमरी और लोअर सेकंडरी चेकपॉईंट के लिए 300,000 से अधिक एंट्रीज़ मिलीं। 2023 के मुकाबले प्राईमरी टेस्ट की प्रविष्टियाँ 13 प्रतिशत तथा लोअर सेकंडरी टेस्ट की प्रविष्टियाँ 9 प्रतिशत अधिक थीं। कैंब्रिज प्राईमरी चेकपॉईंट टेस्ट की प्रविष्टियाँ पिछले साल लोअर सेकंडरी चेकपॉईंट की प्रविष्टियों से ज्यादा थीं और इस वृद्धि में इंडोनेशिया, इजिप्ट, भारत, ओमान, और मलेशिया के स्कूलों ने महत्वपूर्ण योगदान दिया।
टाईमटेबल में परिवर्तन खासकर दक्षिण पूर्व एशिया और पैसिफिक, साउथ एशिया और मेना देशों के स्कूलों के फीडबैक पर आधारित थे, जो चाहते थे कि कैंब्रिज चेकपॉईंट टेस्ट सीरीज़ उनके शैक्षणिक साल के साथ तालमेल में हो।
वनिता उप्पल ओबीई, डायरेक्टर, द ब्रिटिश स्कूल, नई दिल्ली ने कहा: “यह एक महत्वपूर्ण और स्वागत योग्य कदम है! कैंब्रिज चेकपॉईंट टेस्ट मूल्यांकन के अलावा हमारे लर्नर्स की जरूरतों के बारे में निर्णय लेने के लिए महत्वपूर्ण डेटा और उनकी परफॉर्मेंस का वैश्विक परिप्रेक्ष्य प्रदान करते हैं। व्यक्तिगत और सामूहिक डेटा से एकेडमिक टीमों को आवश्यक उपाय करने और लर्निंग के परिणामों में सुधार लाने में मदद मिलती है। इसलिए हमारे एजुकेटर्स न केवल लर्नर्स को एकेडमिक उत्कृष्टता प्राप्त करने में मदद करते हैं, बल्कि उन्हें वैश्विक होती दुनिया में भविष्य के लिए भी तैयार करते हैं।”
रॉड स्मिथ, ग्रुप मैनेजिंग डायरेक्टर, इंटरनेशनल एजुकेशन, कैंब्रिज ने कहा, ‘‘कैंब्रिज चेकपॉईंट टेस्ट स्कूलों को युवा लर्नर की प्रगति को ट्रैक करने और सहयोग को अनुकूलित करने में मदद करते हैं। हमारे समुदाय की बढ़ती मांग के साथ तीसरी टेस्ट सीरीज़ की शुरुआत से ज्यादा स्कूलों में लचीलापन आएगा और वो विद्यार्थियों का अपने एकेडेमिक शेड्यूल के अनुरूप मूल्यांकन कर सकेंगे। इस प्रकार उन्हें इस बहुमूल्य मूल्यांकन टूल का सर्वाधिक लाभ मिल सकेगा। मैं उन सभी स्कूलों का आभारी हूँ, जिन्होंने हमें अपने बहुमूल्य फीडबैक द्वारा ये परिवर्तन लाने में मदद की।’’
कैंब्रिज रिसर्च स्टडी के मुताबिक कैंब्रिज चेकपॉईंट न अपनाने वाले स्कूलों के मुकाबले कैंब्रिज लोअर सेकंडरी चेकपॉईंट अपनाने वाले स्कूलों का औसत कैंब्रिज आईजीसीएसई ग्रेड काफी बेहतर था। यह अध्ययन उजागर करता है कि कैंब्रिज लोअर सेकंडरी चेकपॉईंट स्कोर खासकर उसी विषय या संबंधित विषय में कैंब्रिज आईजीसीएसई में परफॉर्मेंस का अच्छा अनुमान प्रदान करता है।