माँ दुर्गा के जयघोष से गूंजे पूजा पंडाल उमड़े श्रद्धालु…

भव्य पंडाल बने आकर्षण का केंद्र :

लखनऊ : रंग-बिरंगी रोशनी से जगमगाते दुर्गा पूजा पांडाल धूप व लोभान की खुशबू से महक रहे हैं। शुक्रवार ढाकियों की थाप से देर रात तक गूंजते पंडालों में महाषष्ठी के साथ ही मां का पूजन शुरू हुआ। भोर में बंगाली क्लब में श्रद्धालुओं का घंटे भर तक चला चंडी पाठ, शाम को लोबान से महकती धुनुचि पर भक्त झूमे तो ढाक की गूंज ने अपने घर आई मां का नाद किया। पांडालों में कोलकाता से आए ढाकियों की ढाक पंडालों के बाहर रोड तक गूंजी तो बांग्लाभाषी को मां पूजने शाम को उमड़े। ढाक-धुनुचि संग दुर्गा पूजा पंडालों में बंगाल सा नजारा देखने को मिला। शहर के 100 से अधिक पांडालों में मां गुरुवार को पंचमी पर ही विराज चुकी थीं, लेकिन शनिवार से महाषष्ठी के पूजन शुरू हुए। पश्चिम बंगाल से ढाक बजाने आए ढाकियों की थाप पर दुर्गा पूजा की खुमारी में देर रात तक भक्तों ने थिरक कर मां की आराधना की। मॉडल हाउस, लाटूश रोड, हीवेट रोड, गोमतीनगर, भूतनाथ, इंदिरानगर, चारबाग, आलमबाग और आशियाना कैसरबाग के तमाम दुर्गा पूजा पांडालों के आसपास का इलाका धुनुचि की लोबान की महक से गमक उठा।

शाम को संध्यारति के बाद भक्तिगीत के अलावा सांस्कृतिक कार्यक्रमों में भी भक्त जुटे। इस सबके बीच भक्तों ने मां की लोबान से संध्यारति उतारी। षष्ठी को आह्वान के साथ ही सुबह से सजे-धजे दुर्गा पूजा पांडालों में मां का पूजन-अर्चन शुरू हुआ। पुरोहितों की मौजूदगी में आह्वान, अधिवास बोधन के बाद मां की आराधना हुई। शाम को पांडालों में मां को अस्त्र दिए गए। कलारीपट्टू कला का प्रदर्शन: बंगाली क्लब में मां का आवाह्न करते हुए शस्त्र पूजा कर स्थापना की गई। यहां पर दक्षिण भारत के कलारीपट्टू कला मार्शल आॅर्ट पर आधारित भरतनाट्यम नृत्य नाटिका का मंचन कर देवी मां का आगोमुनि किया गया। इस नृत्य का उद्देश्य पुरानी संस्कृति को बढ़ाने की कोशिश था। सप्तशती चंडी पाठ के तीन अध्यायों पर केंद्रित इस नाटिका में मुख्य कलाकार सिंजनी सरकार ने मां चंडिका महालक्ष्मी, स्निग्धा सरकार ने महाकाली, वैशाली जायसवाल ने महासरस्वती, विशाल नाथ ने महिषासुर, आशुतोष व अभिश्रेष्ठ ने शुम्भ-निशुंभ व चंड.मुंड का अभिनय किया। भगवान शिव का अंश पांडेय, ब्रह्मदेव सूत्रधार का हरित शर्मा, पार्वती का रिदम श्रीवास्तव ने बखूबी किरदार निभाया। चंडिका महालक्ष्मी ने महिषासुर, महाकाली ने चंड-मुंड और महासरस्वती ने शुम्भ-निशुम्भ का वध किया तो पंडाल माता की जय जयकार से गूंज उठा।

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