पंजाब और हरियाणा उच्च न्यायालय ने रद्द की एम्मार इंडिया के खिलाफ दायर एफआईआर
नई दिल्ली: हाल के घटनाक्रम में, रियल एस्टेट के दिग्गज, श्रवण गुप्ता की अगुवाई वाली कंपनी, एमजीएफ के खिलाफ पंजाब एवं हरियाणा अदालत के सख़्त फैसले ने एम्मार के साथ विलय की कहानी में धोखे, हेरफेर और फोरम शॉपिंग के जाल को उजागर किया है। माननीय न्यायमूर्ति पंकज जैन के निर्णायक फैसले ने एमजीएफ द्वारा वैध विलय प्रक्रिया को पलटने के लिए इस्तेमाल की गयी चालों के काले कारनामों को उजागर किया है, जिससे भारत में विदेशी संयुक्त उद्यमों के भविष्य को लेकर गंभीर चिंताएं खड़ी हो गयी हैं.
दरअसल रियल एस्टेट क्षेत्र की दो कंपनियों, एमजीएफ और एम्मार के बीच विवादास्पद कानूनी लड़ाई के मद्देनजर अदालत ने यह फैसला सुनाया है। यह मामला एम्मार एमजीएफ लैंड लिमिटेड (EMGF) के विलय के दौरान संपत्ति का कम मूल्यांकन करने और धोखाधड़ी करने के आरोपों के इर्द-गिर्द घूमता है।
अदालत के फैसले में शिकायत में लगाए गए आरोपों का सावधानीपूर्वक विश्लेषण किया गया है, जिसमें यह निष्कर्ष निकाला गया है कि आरोपियों के खिलाफ आपराधिक कार्यवाही जारी रखना अदालत की प्रक्रिया का दुरुपयोग होगा। अदालत ने पाया कि श्रवण गुप्ता के इस्तीफे और एम्मार के सीईओ के संचार से संबंधित आरोप मुख्य रूप से दीवानी मुकदमा है, जिनमें आपराधिक तत्वों के बजाय संविदा संबंधी दायित्व शामिल हैं।
अदालत ने एमजीएफ की ओर से महत्वपूर्ण जानकारी छिपाने और फोरम शॉपिंग पर भी प्रकाश डाला, साथ ही माननीय सर्वोच्च न्यायालय के एक ऐसे ही मामले का हवाला भी दिया जिसमें शिकायतकर्ता पर कानूनी प्रणाली का दुरुपयोग करने और आवश्यक तथ्यों को छिपाने के लिए जुर्माना लगाया गया था।
अदालत के आदेश में निम्नलिखित बातें शामिल हैं:
- – वर्तमान याचिकाकर्ताओं के खिलाफ दर्ज एफआईआर को ख़ारिज किया जाए।
- – आपराधिक कार्यवाही जारी रखने को अदालती प्रक्रिया का दुरुपयोग घोषित किया गया।
कानूनी प्रक्रियाओं के दुरुपयोग और संभावित आपराधिक गतिविधियों पर माननीय न्यायमूर्ति की तीखी टिप्पणियों का वर्तमान में जारी जांच तथा इसमें शामिल कंपनियों के भविष्य पर महत्वपूर्ण प्रभाव पड़ता है। अदालत का यह फैसला पारदर्शिता और न्याय के लिए एक महत्वपूर्ण जीत है, साथ ही यह रियल एस्टेट क्षेत्र की जटिलताओं और चुनौतियों की याद दिलाने का भी काम करता है।
हाल ही में 2019 के एक अदालती दस्तावेज़ से यह बात सामने आई है कि, एम्मार प्रॉपर्टीज़ ने कथित तौर पर पूरी दुनिया में मशहूर कन्सल्टेंट, जेएलएल को एक स्वतंत्र मूल्यांकनकर्ता के रूप में नियुक्त किया। दस्तावेज़ से पता चलता है कि, एम्मार और जेएलएल के सहयोगात्मक प्रयास के बाद अलग की गई प्रॉपर्टीज़ से संबंधित रिपोर्टों में हेरफेर करने का प्रयास किया गया था। इस कथित साजिश का उद्देश्य एम्मार प्रॉपर्टीज के दावे के मूल्य को बढ़ाकर एमजीएफ की भूमि के मूल्य को कम करना था, जिससे दोनों पक्षों को अनुचित रूप से लाभ हो सके। इन आरोपों ने एक प्रमुख ग्लोबल कन्सल्टेंट के रूप में जेएलएल की प्रतिष्ठा को भी दांव पर लगा दिया है।
एम्मार के प्रवक्ता ने कहा, “हम एम्मार इंडिया के खिलाफ अपने पूर्व साझेदार द्वारा लगाए गए निराधार आरोपों को खारिज करने के माननीय उच्च न्यायालय के फैसले का तहे दिल से स्वागत करते हैं। एक ज़िम्मेदार कॉर्पोरेट इकाई के रूप में, एम्मार इंडिया ने व्यावसायिक आचरण के उच्चतम नैतिक मानकों को बरकरार रखा है। इन आरोपों के ज़रिये हमारी प्रतिष्ठा पर दाग लगाने की व्यर्थ कोशिश की गई थी।”
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