पेरिस ओलंपिक में भारतीय तीरंदाजी का ऐतिहासिक लेकिन दिल तोड़ने वाला पल

पेरिस ओलंपिक 2024 में भारतीय तीरंदाज अंकिता भकत और धीरज बोम्मादेवर ने खेल के इतिहास में एक महत्वपूर्ण मोड़ लाया, लेकिन कांस्य पदक की उम्मीदें चुराते हुए बहुत करीब से चूक गए। शुक्रवार को मिश्रित टीम इवेंट में कांस्य पदक के मुकाबले में इस जोड़ी को अमेरिकी टीम के केसि कफहोल्ड और ब्रैडी एल्लिसन के खिलाफ 2-6 से हार का सामना करना पड़ा।

भारतीय जोड़ी की यात्रा इस टूर्नामेंट में असाधारण प्रदर्शन से भरी रही, जिसने उन्हें प्रतियोगिता के अन्य प्रतिस्पर्धियों से अलग कर दिया। भकत और बोम्मादेवर ने ओलंपिक पदक मुकाबले में पहुंचने वाले पहले भारतीय तीरंदाज बनने का ऐतिहासिक मुकाम हासिल किया। इस उपलब्धि की ओर उनका रास्ता कोरियाई टीम के सिहेये लिम और वू जिन किम के खिलाफ एक रोमांचक सेमीफाइनल मुकाबले से होकर गुजरा। शुरुआती 2-0 की बढ़त के बावजूद, भारतीय जोड़ी अपनी स्थिति को बनाए रखने में असफल रही और अंततः मैच हार गई, जो एक कठिन झटका था।

कांस्य पदक के मुकाबले में, अमेरिकी टीम ने पहले सेट में 38-37 से जीत हासिल की। भकत ने दूसरे सेट में संघर्ष किया, जिससे अमेरिकियों ने 4-0 की बढ़त बना ली। तीसरे सेट में, बोम्मादेवर ने कुछ प्रभावशाली शॉट्स मारे, लेकिन पिछड़ने का अंतर बहुत बड़ा था। अंतिम सेट में भकत की समस्याओं ने अमेरिकियों को 37-35 से जीत दिलाई।

हालांकि चौथे स्थान की यह हार एक दिल दहलाने वाली घटना थी, यह भारतीय तीरंदाजी के लिए एक मील का पत्थर भी है। भकत और बोम्मादेवर का पेरिस ओलंपिक में प्रदर्शन उनके कौशल और समर्पण को दर्शाता है, जो भविष्य में अंतरराष्ट्रीय प्रतियोगिताओं में और अधिक ऊंचाइयों तक पहुंचने की क्षमता को दिखाता है।

कांस्य पदक की संकीर्ण चूक एक उदासीन याद दिलाती है कि वे इतिहास को कितना करीब से छूने आए थे, लेकिन इस अभियान से प्राप्त अनुभव भारतीय तीरंदाजी के भविष्य के प्रयासों के लिए मूल्यवान अंतर्दृष्टि और प्रेरणा प्रदान करेगा। भकत और बोम्मादेवर की यात्रा, जो विजय और निराशा से भरी रही, भारतीय तीरंदाजी की बढ़ती ताकत और वैश्विक मंच पर उसकी स्थिति का प्रमाण है।

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