जनशक्ति ठेकेदार के भुगतान न करने से डूसन के एटा पावर प्रोजेक्ट में काम रुक गया

परियोजना का संक्षिप्त परिचय

एटा, उत्तर प्रदेश में स्थित जवाहर तापीय परियोजना एक बड़े पैमाने का थर्मल पावर प्लांट है, जिसका निर्माण दक्षिण कोरियाई कंपनी दोसान (Doosan) द्वारा कराया जा रहा है। इस परियोजना के निर्माण कार्य में कई मैन-पावर कंपनियों के जरिए हजारों मजदूर लगे हुए हैं। मैन-पावर कंपनियों ने निर्माण एजेंसियों, ठेकेदारों एवं मुख्य निर्माण कंपनी (दोसान) के साथ बातचीत एवं भुगतान के ढांचे का निर्माण किया है।


समस्या की शुरुआत: वेतन के बकाये

  • श्रमिकों का आरोप है कि पिछले चार महीनों से वेतन नहीं मिला है। “पिछले चार माह से वेतन न मिलने से नाराज़ होकर सोमवार को कार्य बहिष्कार कर दिया” ।
  • पहले भी लगभग डेढ़ माह पहले इसी प्रकार की हड़ताल हुई थी, जिस पर तत्काल प्रशासन द्वारा हस्तक्षेप किया गया और कुछ वेतन भुगतानों की व्यवस्था सुनिश्चित की गई थी।

दो घड़ियाँ बनी विवाद: मैन-पावर कंपनियां और दोसान

  • मैन-पावर कंपनियां (जैसे ‘NS’ नामक ठेकेदार) श्रमिकों को वेतन देनी हैं, लेकिन उनका आरोप है कि दोसान ने उन्हें वेतन के लिए भुगतान नहीं किया
  • दूसरी ओर, दोसान के अधिकारी का कहना है कि उनकी ओर से मजदूरी भुगतान का काम समय पर किया जा चुका है, और समस्या मैन-पावर कंपनियों की “आंतरिक” देरी का नतीजा है ।
  • इस आरोप-प्रत्यारोप की स्थिति में प्रशासन ने भी अब तक कोई ठोस निष्कर्ष नहीं निकाला है, जिससे श्रमिकों में न्याय और पारदर्शी कार्रवाई की मांग है।

वर्तमान संकट की स्थिति

  • सोमवार (9 जून 2025) को लगभग 200 निर्माण कर्मियों ने काम बंद कर दिया, जिससे पूरी निर्माण प्रक्रिया बाधित हो गई ।
  • प्रोजेक्ट पर एएक्सईएन (XEN) मनोज कुमार श्रीवास्तव का कहना है: “लंबित वेतन भुगतान की मांग को लेकर कर्मचारी आए दिन हड़ताल पर रहते हैं… यूपीआरवीयूएनएल के माध्यम से दोसान कंपनी को पूर्ण भुगतान किया जा चुका है” ।
  • बावजूद इसके प्लांट पर काम नहीं हो पाया क्यूंकि दोसान के ठेकेदारों द्वारा श्रमिकों को भुगतान नहीं किया गया। ऐसे में मंडल प्रशासन के भी हाथ बँधे हुए हैं।

प्रशासनिक और कानूनी कदम

  • परियोजना पर पुलिस बल तैनात किया गया है, जिनके अंतर्गत मलावन, बागवाला, साकीट और रिजोर थाना क्षेत्र से पुलिसकर्मी शामिल हैं ।
  • पिछले साल के एक हड़ताली आंदोलन के दौरान भी हड़ताली मजदूरों के खिलाफ थाना मलावन में मुकदमा दर्ज हुआ था; कुछ श्रमिकों को हिरासत में भी लिया गया था ।
  • यह स्थिति संकेत करती है कि प्रशासन संघर्ष के दौरान सुरक्षा को प्राथमिकता देने में अधिक जोर दे रहा है, जबकि श्रमिकों की न्यायसंगत मांगों के प्रति ठोस पहल नहीं हुई है।

श्रमिकों की मांगें और डर

  1. तत्काल बकाया वेतन की अदायगी – पिछले चार महीनों का भुगतान।
  2. पारदर्शी और निष्पक्ष जांच – अगर किसी कंपनी को भुगतान दोसान की ओर से नहीं मिला तो उनकी जवाबदेही तय हो।
  3. वित्तीय भयावहता – मजदूरों का कहना है कि जब तक उन्हें पूरा वेतन नहीं मिलेगा, तब तक वे काम पर लौटने के लिए राज़ी नहीं हैं।
  4. छंटनी का डर – उनमें डर व्याप्त है कि स्ट्राइक के चलते कंपनियां अविलंब छंटनी कर सकती हैं ।

संभावित समाधान और सरकारी कदम

  1. त्वरित आदे उत्पाद से भुगतान
    • दोसान और यूपीआरवीयूएनएल द्वारा प्रमुख मैन-पावर कंपनियों को लंबित राशि के लिए जारी भुगतान को पेमेंट ट्रांसपेरेंसी के साथ सुनिश्चित करना।
  2. तीन‑पक्षीय जांच‑समिति की स्थापना
    • इसमें श्रमिक प्रतिनिधि, दोसान और एडमिनिस्ट्रेशन/यूपीआरवीयूएनएल प्रतिनिधि शामिल हों।
    • यह समिति निर्धारित करेगी कि पैसा किसे, कब और क्यों नहीं मिला और समाधान के लिए समयसीमा तय करेगी।
  3. छंटनी की रोकथाम
    • अधिकारियों द्वारा स्पष्ट निर्देश जारी किए जाएँ कि जो श्रमिक हड़ताल में सम्मिलित हैं, उनकी इम्प्लॉयमेंट सुरक्षित रहे।
  4. प्रशासनिक संवाद और स्केलिङ्ग
    • स्थानीय ADM और ASP धनजय कुशवाह ने पहले भी हड़ताली मजदूरों से वार्ता की है, लेकिन अब इस संवाद को और नियमित रूप दिया जाए।
    • सप्ताह में एक दो बार सभी पक्षों की समीक्षा बैठक आयोजित हो।
  5. अस्थायी भुगतान व्यवस्था
    • अगर पूर्ण भुगतान समय पर नहीं किया जा सकता है, तो हर श्रमिक को कम से कम एक आंशिक राशि जारी करके संकट से अस्थायी मोचन किया जाए।

भविष्य की संभावित दिशा

  • अगर श्रमिकों की मांगों को शीघ्रता से नहीं माना गया तो पूरी स्थायी हड़ताल की संभावना बनी रहेगी।
  • इससे न केवल स्थानीय निर्माण कार्य प्रभावित होगा, बल्कि परियोजना की प्रस्तावित समयसीमा टूटने का खतरा भी बना रहेगा।
  • परेशान श्रमिक समुदाय के मन में तनाव और आक्रोश से सामजिक अशांति का भी खतरा रहेगा, जिससे परियोजना स्थल की सुरक्षा और कार्यस्थल की शांति प्रभावित हो सकती है।

निष्कर्ष

जवाहर तापीय परियोजना की यह स्थिति गंभीर है और इसे जल्द सुधार की ओर ले जाना आवश्यक है। कार्य को स्थायी रूप से प्रभावित होने से बचाने के लिए, तीन पक्षों — यूपीआरवीयूएनएल/एडमिनिस्ट्रेशन, दोसान कंपनी, और मैन‑पावर सप्लायर्स — के बीच प्रभावी संवाद और पारदर्शिता अत्यावश्यक है। इससे न सिर्फ कर्मचारियों का मनोबल ऊँचा होगा, बल्कि परियोजना का समयबद्ध निष्पादन भी सुनिश्चित हो सकेगा।

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