भारतीय रेल के  ट्रैकमेन को रूप नारायण सुनकर का समर्थन

नई दिल्ली: भारतीय रेल को कोई चला रहा है तो वह है ट्रैकमेन। ट्रैकमेन के बगैर रेल को चलाने की कल्पना तक नहीं की जा सकती है। यह लोग भीषण गर्मी, बरसात और कड़ाके की ठंड में भी अपनी डय़ूटी मुस्तैदी के साथ देते है। यह बात रेलवे बोर्ड के मेम्बर (इंफ्रास्ट्रकचर) रूप नारायरण सुनकर ने यहां रेल हादसों के मानवीय तथा तकनीकी कारण और निवारण पर आयोजित सुरक्षा संगोष्ठी में शामिल ट्रैक मेन, कीमेन, गेटमेन आदि को संबोधित करते हुए कही। इस अवसर पर एनएफआईआर के अध्यक्ष गुमान सिंह, एनएफआईआर के उपाध्यक्ष व यूआरएमयू के महासचिव बीसी शर्मा, यूआरएमयू के अध्यक्ष एसएन मलिक, मंडल मंत्री रमणिक शर्मा, मंडल अध्यक्ष आलोक शर्मा, वर्किग प्रेसिडेंट डीके चावला, वाइस प्रेसिंडेंट पीएस सिसोदिया, महिला विंग अध्यक्ष सोनिया शर्मा, उर्मिला डोगरा, मनोज, टीके शर्मा, सुभाष चांद आदि मौजूद थे।

इस मौके पर ट्रैकमेनों ने कहा कि उनसे 11-11 घंटे काम लिया जाता है और बदले में उन्हे आराम करने के लिए एक छत तक नहीं मिलती है। खुले आसमान में कड़काडी धूप और बरसात, ठंड के बीच काम करना पड़ता है। पीने की भी कोई व्यवस्था नहीं होती है। ट्रैकमेनों ने कहा कि जब हम सुरक्षित रहेगें तभी रेलवे भी सुरक्षित रहेगी। हम लोगों की सुरक्षा को लेकर कुछ नहीं हो रहा है। इन लोगों की ओर से बीसी शर्मा व गुमान सिंह ने मांगों का एक ज्ञापन रूप नायारण सुनकर को सौंपी। जिसपर श्री सुनकर ने कहा कि वह उनकी मांगों पर गंभीरता से विचार करेंगे। उन्होंने कहा कि कुछ चीजों के बारे में उन्हें पता है और कानून भी है बस उसे लागू किये जाने की जरूरत है। बीसी शर्मा ने कहा कि ट्रैकमेन को घटिया किस्स के जूते दिये जा रहे हैं जो महीने भर मे ही खराब हो जा रहे है। ट्रैकमेनों ने कहा कि जिस तरह से हमारे ऊपर निगरानी रखने के लिए जीपीएस दिया गया है ठीक उसी तरह से अधिकारियों पर नजर रखने के लिए जीपीएस दिया जाए। गुमान सिंह ने कहा कि सबसे ज्यादा रेल दुर्घटनाओं में ट्रैकमेन की ही मृत्यु होती है। इसलिए इनकी 30 फीसद रिस्क एलाउंस की मांग सहीं है।

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