राम चरित मानस के प्रसंगो को मंच पर जीवित किया…
नाट्य कृति मन मन में राम का मंचन…
लखनऊ : रंगयात्रा संस्था ने रामायण के अलग-अलग प्रसंगों पर आधारित श्रीमती चित्र मोहन लिखित एवं ज्ञानेश्वर मिश्रा ज्ञानी द्वारा निर्देशित नाट्य कृति मन मन में राम का सफल मंचन संत गाडगे प्रेक्षागृह में कल शाम किया। जिसमें केवट, जटायू, शबरी, वन में स्वागत, अहिल्या उद्धार एवं शूपर्णखा के प्रसंगो को मंच पर जीवित किया ।
भगवान राम के 14 वर्ष के वनवास से कहानी की शुरूवात होती है जिसमें भगवान राम अपनी पत्नी सीता और लक्ष्मण के साथ वन में जाते हैं और वह गंगा नदी पार करने के लिए केवट मल्लाह से गंगा पार ले जाने के लिए विनती करते हैं और केवट भगवान राम से कहता है की हे प्रभु मै आपके चरण धोकर ही अपनी नांव में आप लोगो को बिठाऊंगा। जटायू प्रसंग में जटायु के रावण से युद्ध के पश्च्यात राम द्वारा उनके साथ संवाद और उनका दाह संस्कार को नाटक में दिखलाया गया है। शबरी प्रसंग में शबरी राम के आने की प्रतीक्षा में बैठी है। भगवान राम उसकी कुटिया में आते हैं और शबरी के झूठे बेर खाकर उसकी प्रेम भक्ति को मंच पर प्रस्तुत किया। गौतम मुनि के शाप से शापित देवी अहिल्या जो एक चट्टान बन गयी थी, भगवान राम द्वारा उसका उद्धार कैसे किया था उसका सजीव चित्र एक दृश्य में दिखलाया गया। वन गमन प्रसंग में राम के वन में पहुंचने पर ग्राम वासियो द्वारा उनका किया गया भव्य स्वागत को दशार्या गया है। नाटक के आखिरी प्रसंग में शूपर्णखा प्रसंग में शूपर्णखा वन में आकर भगवान राम से प्रणय निवेदन करती है और अपने संग विवाह करने का प्रस्ताव रखती है जिसे भगवान राम कहते हैं कि मेरी पत्नी मेरे साथ ही इसलिए मैं तुमसे विवाह नहीं कर सकता और कहते हैं कि मेरे छोटे भाई लक्ष्मण से तुम प्रणय निवेदन करो, पर लक्ष्मण भी उसके प्रणय निवेदन को अस्वीकार कर देते है। इस पर वो वो गुस्से में आकर सीता को खाने के लिए बढ़ती है जिससे लक्ष्मण उसकी नाक काट देते हैं । इन्ही प्रसंगो को रंगयात्रा लखनऊ के कलाकारों ने आपने अभिनय से मंच पर जीवंत कर दिया।
नाटक की अहम भूमिका सूत्रधार में ज्ञानेश्वर मिश्रा ज्ञानी स्वयं थे। अन्य पात्रों में आशीष सिंह सूरज गौतम, मनीष पाल, प्रियंका भारती, अंशिका सक्सेना, विनीता सिंह, ज्योति सिंह परिहार, संदीप देव, अनिल कुमार, अंजलि वर्मा, सौरभ शुक्ला और विशाल श्रीवास्तव थे। नाटक में संगीत अमित मुखर्जी, प्रकाश तमाल बोस एवं मंच सज्जा उमंग फाउंडेशन की थी।