‘छपे अख़बार अब बिकते कहाँ हैं, बिके अख़बार ही छपते यहाँ हैं’ शिल्प समागम मेले के समापन में कवियों ने समां बांधा…


लखनऊ : सामाजिक न्याय और अधिकारिता मंत्रालय के शीर्ष निगमों द्रारा आयोजित शिल्प समागम मेले के अंतिम दिन कवियों ने समां बांध दिया। ‘शब्द शिल्पी’ नामक कवि सम्मेलन में उत्तर प्रदेश सरकार में विशेष सचिव उच्च शिक्षा डॉ अखिलेश मिश्रा ने ‘छपे अख़बार अब बिकते कहाँ हैं, बिके अख़बार ही छपते यहाँ हैं’ और ‘अब अदालत में खड़ी मूरत रुआंसी हो रही है, अब कहां इस मुल्क में कातिल को फांसी हो रही है’ जैसी प्रासंगिक पंक्तियों के साथ श्रोताओं का दिल जीत लिया। स्थानीय कवयित्री सरला शर्मा अस्मां ने ‘सर्वमंगला मां धरती पर आ के आज फिर, दीन हीन प्राणी का उद्धार अब कीजिए” “खेत खलिहान ज्ञान गुण कोष भरा रहे’,सोने की चिरैया को संवार अब दीजिए” जैसी पंक्तियों को अपनी सुरीली आवाज़ दी। मंच का संचालन कर रहे पंकज प्रसून ने ‘आज के दौर में वही असली नेता है जो टिकट मिलने पर देश बदलता है, और टिकट कटने पर पार्टी ही बदल देता है’ जैसे कटाक्ष के साथ लोगों को सोंचने पर मजबूर कर दिया। ‘पापा बिटिया को करें ,बोलो कितना प्रेम, बिटिया है तस्वीर सी, पापा उसके फ़्रेम जैसी पंक्ति के साथ मायानगरी मुंबई से पधारे राजेश कुमार ने बाप-बेटी के रिश्ते की बड़ी मार्मिक तस्वीर पेश की। इसके बाद अभय निर्भीक ने देशभक्ति से ओतप्रोत ‘भारत माता का हरगिज सम्मान नहीं खोने देंगे, अपने पूज्य तिरंगे का अपमान नहीं होने देंगे’ जैसी पंक्तियों से दर्शकों की तालियां बटोरी। प्रयागराज से आये डॉ श्लेष गौतम ने आज के दौर के लिए ‘त्याग की वो कमाईं,हमें चाहिए, ‘पुरखों ने जो निभाई,हमें चाहिए, ‘ राम घर घर में हों,प्रार्थना है,मगर, इक भरत जैसा भाई हमें चाहिए’ जैसी कविता से आश्रीवाद प्राप्त किया। मेले के अंतिम दिन और नररात्रि के पहले दिन लखनऊवासियों ने जमकर खरीदारी की। प्रधानमंत्री श्री नरेन्द्र मोदी जी के ‘सबका साथ, सबका विकास’ के मूल मंत्र पर आधिरित इस मेले का उद्देश्य लगभग 18 राज्यों के लगभग 80 अनुसूचित जाति, पिछड़े वर्ग और सफाई कर्मचारियों के लाभार्थी को अपने उत्पादों के प्रदर्शन के साथ साथ बिक्री के लिए बड़ा मंच प्रदान करना था।

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