Amazon Prime Video में 17 जून से दिखेंगे विज्ञापन: जानें क्या बदलने जा रहा है

OTT प्लेटफॉर्म्स पर विज्ञापन का बढ़ता प्रभाव: Amazon Prime का नया कदम
आज के डिजिटल युग में जब मनोरंजन के साधन तेज़ी से बदल रहे हैं, OTT (Over-the-Top) प्लेटफॉर्म्स ने दर्शकों की आदतों को पूरी तरह बदल दिया है। अब दर्शक अपनी पसंद की सामग्री कभी भी और कहीं भी देख सकते हैं। लेकिन हाल ही में Amazon Prime Video द्वारा भारत में 17 जून 2025 से अपने सब्सक्रिप्शन प्लान्स के साथ विज्ञापन दिखाने के ऐलान ने उपभोक्ताओं को चौंका दिया है।
उपभोक्ता यदि विज्ञापनों से मुक्त अनुभव चाहते हैं, तो उन्हें अतिरिक्त शुल्क का भुगतान करना होगा। उदाहरण के लिए, Amazon Prime Video ने ₹699 वार्षिक या ₹129 मासिक शुल्क पर “ad-free add-on” पेश किया है, जिससे वे विज्ञापनों से मुक्त कंटेंट का आनंद ले सकते हैं । हालांकि, इस ऐड-ऑन के बावजूद, Amazon के MX Player लाइब्रेरी से सामग्री पर विज्ञापन दिखाई देंगे ।
दूसरी ओर, कम कीमत वाले ऐड-सपोर्टेड मॉडल उपभोक्ताओं को सस्ते में कंटेंट प्रदान करते हैं, लेकिन इसके बदले उन्हें विज्ञापनों का सामना करना पड़ता है। यह विकल्प उन उपयोगकर्ताओं के लिए उपयुक्त है जो कम लागत में मनोरंजन चाहते हैं और विज्ञापनों को सहन कर सकते हैं।
क्या है नया नियम?
Amazon Prime ने घोषणा की है कि अब उनके नियमित सब्सक्रिप्शन पर विज्ञापन दिखाई देंगे। यदि उपयोगकर्ता विज्ञापन-मुक्त अनुभव चाहते हैं, तो उन्हें एक अतिरिक्त “ad-free add-on” खरीदना होगा। इस ऐड-ऑन की शुरुआती कीमत 699 रुपये रखी गई है, जो बाद में 999 रुपये तक जा सकती है।
इसका मतलब यह है कि जो उपयोगकर्ता पहले सालाना ₹1499 देकर Prime Video का लाभ उठा रहे थे, उन्हें अब बिना विज्ञापन के कंटेंट देखने के लिए लगभग ₹2500 तक खर्च करना होगा।
क्यों लिया गया यह फैसला?
इस बदलाव के पीछे कई व्यावसायिक कारण हैं:
- बढ़ती लागतें: उच्च गुणवत्ता वाली वेब सीरीज़ और फिल्मों के निर्माण में भारी निवेश होता है। विज्ञापन दिखाकर कंपनियाँ अपनी आय के स्रोत को बढ़ाना चाहती हैं।
- ग्लोबल ट्रेंड: Netflix और Disney+ जैसे अन्य प्लेटफॉर्म्स पहले ही “ad-supported” प्लान्स लॉन्च कर चुके हैं। Amazon भी उसी दिशा में कदम बढ़ा रहा है।
- Freemium मॉडल की ओर झुकाव: उपभोक्ताओं को मुफ्त या कम कीमत में कंटेंट देने के बदले विज्ञापन दिखाना एक व्यावसायिक रणनीति है, जो अधिक उपयोगकर्ताओं को आकर्षित करती है।
उपभोक्ताओं की प्रतिक्रिया क्या हो सकती है?
जहाँ कुछ लोग इसे एक अतिरिक्त बोझ मानेंगे, वहीं कई ऐसे भी होंगे जो कम कीमत में विज्ञापन सहने को तैयार होंगे। भारत जैसे देश में, जहाँ मूल्य संवेदनशीलता अधिक है, वहाँ यह रणनीति लंबे समय में सफल भी हो सकती है।
दूसरे प्लेटफॉर्म्स क्या कर रहे हैं?
- Netflix: एक विज्ञापन-युक्त सस्ता प्लान उपलब्ध है, जिसमें सीमित कंटेंट और विज्ञापन दिखाए जाते हैं।
- Disney+ Hotstar: पहले से ही फ्री कंटेंट के साथ विज्ञापन दिखाता है, जबकि प्रीमियम में ऐड-फ्री अनुभव मिलता है।
- JioCinema और MX Player: फ्री कंटेंट के बदले विज्ञापन पर आधारित मॉडल अपनाते हैं।
क्या है उपभोक्ताओं के पास विकल्प?
- विज्ञापन-मुक्त अनुभव के लिए अतिरिक्त भुगतान करें।
- विज्ञापन के साथ सस्ता या मुफ्त कंटेंट देखें।
- वैकल्पिक प्लेटफॉर्म्स की ओर रुख करें जो बेहतर वैल्यू प्रदान करें।
निष्कर्ष
OTT प्लेटफॉर्म्स पर विज्ञापनों की वापसी एक रणनीतिक कदम है जो कंपनियों के लिए फायदेमंद हो सकता है, लेकिन इससे उपभोक्ताओं की जेब पर असर पड़ेगा। अब यह उपभोक्ताओं पर निर्भर करता है कि वे किस प्रकार के अनुभव को प्राथमिकता देते हैं — विज्ञापन-मुक्त प्रीमियम या कम कीमत वाला ऐड-सपोर्टेड मॉडल।
OTT प्लेटफॉर्म्स का विज्ञापनों को अपनाना एक व्यापारिक निर्णय है, जो वित्तीय स्थिरता और प्रतिस्पर्धात्मकता को बनाए रखने के लिए आवश्यक है। उपभोक्ताओं के पास अब अधिक विकल्प हैं, और उन्हें अपनी प्राथमिकताओं के अनुसार निर्णय लेने का अवसर मिलता है। यदि वे विज्ञापन-मुक्त अनुभव चाहते हैं, तो उन्हें अतिरिक्त शुल्क का भुगतान करना होगा; अन्यथा, वे कम कीमत वाले ऐड-सपोर्टेड मॉडल का चयन कर सकते हैं। यह उपभोक्ताओं की व्यक्तिगत प्राथमिकताओं और बजट पर निर्भर करता है कि वे किस विकल्प को चुनते हैं।
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