भारत में नौकरी का बाजार मजबूत बना हुआ है, वित्तवर्ष 2026 के लिए फ्रेशर एवं टेक पर है नजर

वित्तवर्ष 2025 की चौथी तिमाही के लिए इनडीड की लेटेस्ट हायरिंग ट्रैकर रिपोर्ट में एआई रेडी पदों और फ्रेशर्स की बढ़ती मांग उजागर हुई

बैंगलुरू: वित्तवर्ष 2025 में भारत के नौकरी बाजार में तेजी बनी हुई है। वैश्विक चुनौतियों के बावजूद भारत में नियोक्ताओं द्वारा विशेषकर टेक प्रतिभाओं और फ्रेशर्स की नियुक्ति पर दोगुना जोर दिया जा रहा है। इनडीड की लेटेस्ट ‘हायरिंग ट्रैकर’ रिपोर्ट के अनुसार 82 प्रतिशत नियोक्ताओं द्वारा जनवरी से मार्च, 2025 के बीच नियुक्तियाँ की गईं तथा अक्टूबर और दिसंबर 2024 के मुकाबले नियुक्तियाँ 3 प्रतिशत बढ़ीं।

इनडीड इंडिया के हेड ऑफ सेल्स, शशि कुमार ने कहा, ‘‘नौकरी के बाजार का विकास हो रहा है। नियोक्ता सावधानी के साथ आशान्वित रहते हुए आगे बढ़ रहे हैं। फ्रेशर्स की नियुक्ति स्थिर रूप से हो रही है और टेक पदों पर नियुक्तियाँ बढ़ रही हैं। सॉफ्टवेयर डेवलपमेंट, डेटा एनालिटिक्स और एआई जैसे क्षेत्रों में कौशल की कमी को पूरा किए जाने की आवश्यकता स्पष्ट रूप से दिखाई दे रही है। वित्तवर्ष 2026 में प्रवेश करने के साथ ही कंपनियाँ इस बारे में गहराई से विचार कर रही हैं कि उन्हें किन लोगों की नियुक्ति करनी है और भविष्य के लिए तैयार टीम कैसे बनाना है।’’

वित्तवर्ष 2026 की योजना के साथ फ्रेशर्स पर दिया जा रहा है ज्यादा ध्यान

कंपनियों द्वारा अपने बजट और भविष्य के लिए तैयार टीमों को ध्यान में रखते हुए फ्रेशर्स सबसे ज्यादा मांग में रहे, जो पिछली तिमाही नई नियुक्तियों में 53 प्रतिशत रहे। सबसे ज्यादा मांग सॉफ्टवेयर डेवलपर्स (29 प्रतिशत), डेटा एनालिस्ट्स एवं साईंटिस्ट (26 प्रतिशत) और सेल्स एग्ज़िक्यूटिव (23 प्रतिशत) की रही।

नियोक्ता डेटा एनालिटिक्स, एआई/एमएल, साईबरसिक्योरिटी, और सॉफ्टवेयर डेवलपमेंट में प्रशिक्षित फ्रेशर्स तलाश रही हैं, जिससे भारत में नियुक्तियों और टेक एवं एआई बूम में गहरा संबंध प्रदर्शित होता है। एआई डेवलपर्स से साईबरसिक्योरिटी विशेषज्ञों तक नियोक्ता ऐसी टीमें बना रहे हैं, जो उनके बिज़नेस को फ्यूचरप्रूफ कर सकें और उनका नेतृत्च फ्रेशर्स कर रहे हैं।

कौशल की कमी की चुनौती: नई प्रतिभा, पर नौकरी के लिए तैयार नहीं

फ्रेशर की नियुक्ति करने की अत्यधिक रुचि के बावजूद नियोक्ताओं को कौशल की कमी का सामना करना पड़ रहा है। 38 प्रतिशत नियोक्ताओं की यह सबसे बड़ी समस्या है। नए ग्रेजुएट्स में जोश व अनुकूलनशीलता होती है, लेकिन उन्हें व्यवहारिक, प्रायोगिक अनुभव कम होता है, जो आज के तेजी से विकसित होते हुए कार्यस्थल के लिए आवश्यक है।

तकनीकी कौशल के अलावा नए ग्रेजुएट्स कार्यस्थल के लिए तैयार होने के मामले में पिछड़ रहे हैं। संचार से सहयोग और समय प्रबंधन तक 27 प्रतिशत नियोक्ताओं ने बताया कि फ्रेशर्स को व्यवसायिक वातावरण में अनूकूलित होने के लिए और ज्यादा सहयोग की जरूरत होती है। वहीं 25 प्रतिशत को प्रत्याशी की अपेक्षाओं और कंपनियाँ वास्तव में क्या ऑफर देती हैं, उसके बीच के अंतर को दूर करने के लिए संघर्ष करना पड़ता है, विशेषकर वेतन के मामले में।

इसके बाद भी कंपनियाँ फ्रेशर्स को दीर्घकालिक निवेश के रूप में देखती हैं। इससे यह स्पष्ट है कि नियोक्ता ज्यादा समझदार होते जा रहे हैं। वो ऐसे प्रत्याशियों को तलाश रहे हैं, जिन्हें न केवल एआई, सॉफ्टवेयर डेवलपमेंट और डेटा एनालिटिक्स जैसे क्षेत्रों का सही तकनीकी ज्ञान हो, बल्कि जो नौकरी में सीखने के लिए लचीलापन, जिज्ञासा और इच्छा भी प्रदर्शित करते हों।

फ्रेशर्स का दृष्टिकोणः ऊँची आशाएं, कठोर प्रतियोगिता

दूसरी तरफ, फ्रेशर्स की अपनी अलग चुनौतियाँ हैं। जहाँ कई फ्रेशर्स कौशल बढ़ाकर खुद को साबित करना चाहते हैं, वहीं प्रतिस्पर्धी वेतन उनकी अड़चन बना हुआ है। ज्यादातर नौकरी तलाशने वाले कम वेतन में काम करने के लिए तैयार नहीं हैं और यह बात नियोक्ताओं के संज्ञान में आ रही है। वास्तव में, 72 प्रतिशत नियोक्ताओं का कहना है कि फ्रेशर्स के वेतन हर साल बढ़ते रहे हैं। हालाँकि लगभग 60 प्रतिशत का मानना है कि वेतन में वृद्धि मामूली रही है, जो 5 प्रतिशत पर सीमित है।

इसके अलावा, 39 प्रतिशत फ्रेशर्स का कहना है कि अत्यधिक प्रतिस्पर्धा के कारण इस पर ध्यान जाना मुश्किल है।

श्री कुमार ने कहा, ‘‘आज हर नौकरी में एक पद के लिए छः फ्रेशर्स इच्छुक होते हैं और टेक्नोलॉजी के क्षेत्र में एक पद के लिए सात फ्रेशर्स कतार में होते हैं। यह इस बात का संकेत है कि युवा, महत्वाकांक्षी कार्यबल काम करने के लिए तैयार है। अब इस परिवेश द्वारा चुनौती का सामना करने का समय है। नए युग की टेक कंपनियों और एआई एवं साईबरसिक्योरिटी जैसे इनोवेशन पर आधारित सेक्टर्स द्वारा सही प्रोत्साहन मिलने के साथ इस ऊर्जा का प्रभाव उत्पन्न करने का अवसर हमारे पास है।

नियोक्ता इस तिमाही 2025 के क्लास द्वारा वेतन की अपेक्षाओं को पूरा करने के करीब रहे और फ्रेशर्स द्वारा अपेक्षित 3,80,000 रुपये एलपीए के मुकाबले 3,50,000 रुपये एलपीए के औसत शुरुआती वेतन का ऑफर दिया। लगभग 58 प्रतिशत नियोक्ताओं ने 300,000 रुपये से 500,000 रुपये एलपीए के बीच पैकेज दिए, जो 67 प्रतिशत फ्रेशर्स की अपेक्षाओं के लगभग बराबर थे। हालाँकि, इतने करीब रहने के बाद भी 72 प्रतिशत फ्रेशर्स ने कहा कि वो वेतन के मामले में समझौता नहीं करेंगे, फिर भले ही उन्हें सीखने और विकास करने के आकर्षक अवसर ही क्यों न मिलें। इससे एक बार फिर प्रदर्शित होता है कि वेतन उनकी सर्वोच्च प्राथमिकता है।

नियोक्ता की अपेक्षाओं और नौकरी तलाशने वालों की जरूरतों के बीच इस अंतर से प्रतिभाओं और अवसरों के बीच संबंधों को आकार मिल रही है। 62 प्रतिशत नौकरी तलाशने वालों का कहना है कि वो उन पदों के लिए आवेदन करने के ज्यादा इच्छुक हैं, जो वेतन, जिम्मेदारियों और कार्य संस्कृति की स्पष्ट रूपरेखा प्रदान करते हैं। जो नियोक्ता सर्वोच्च प्रतिभा को आकर्षित करना चाहते हैं, उनके लिए पारदर्शिता और अच्छी तरह से परिभाषित अपेक्षाएं बहुत आवश्यक हैं, जो वित्तवर्ष 2026 में एक मजबूत टेलेंट पाईपलाईन का निर्माण कर सकती हैं।

वित्तवर्ष 2026 के लिए आउटलुक

वित्तवर्ष 2026 का परिदृश्य आशावादी रहने वाला है। वित्तवर्ष 2025 की चौथी तिमाही के लिए इनडीड हायरिंग ट्रैकर सर्वे में हिस्सा लेने वाले 34 प्रतिशत नियोक्ताओं ने कहा कि वो अप्रैल-जून 2025 की तिमाही में फ्रेशर्स की नियुक्ति करने की योजना बना रहे हैं। नए ग्रेजुएट्स के लिए, खासकर एआई, डेटा, और साईबरसिक्योरिटी जैसे क्षेत्रों में मांग काफी मजबूत बनी हुई है।

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