मनिषा रामादास ने पेरिस पैरा-ओलंपिक में ऐतिहासिक कांस्य पदक जीता

मनिषा रामादास कांस्य पदक जीतकर, भारत की पहली पैरा-बैडमिंटन पदक विजेता।

नई दिल्ली:, मनिषा रामादास ने पेरिस पैरा-ओलंपिक 2024 में महिलाओं के सिंगल्स SU5 श्रेणी में कांस्य पदक जीतकर राष्ट्रीय गर्व को प्रकट किया है। उनकी जीत न केवल उनके व्यक्तिगत करियर में एक महत्वपूर्ण मील का पत्थर जोड़ती है, बल्कि भारतीय पैरा-बैडमिंटन के लिए एक ऐतिहासिक क्षण भी साबित होती है, क्योंकि वे पैरा-ओलंपिक में बैडमिंटन का पदक जीतने वाली पहली भारतीय महिला बन गई हैं।

शानदार प्रदर्शन

मनिषा रामादास, जिनकी उम्र 19 वर्ष है, ने सोमवार को शानदार प्रदर्शन किया, डेनमार्क की कैथरीन रोसेंग्रेन को सीधे गेम्स में 21-12 और 21-8 से हराया। LA Chapelle Arena Court 3 में हुआ यह मैच केवल 25 मिनट तक चला, जिसमें मनिषा ने शुरुआत से ही एक प्रभावशाली उपस्थिति दिखाई। मैच के दौरान उनकी ह dominance स्पष्ट थी, उन्होंने जल्दी ही बढ़त बनाई और दोनों गेम्स में अपने नेतृत्व को बनाए रखा, कांस्य पदक की ओर उनका मार्ग आसान बना दिया।

सफलता की यात्रा

मनिषा की पदक जीतने की यात्रा कई शानदार जीत और कुछ बाधाओं से भरी रही। उन्होंने पेरिस में अपने अभियान की शुरुआत समूह चरण में फ्रांस की माउड लेफोर्ट को सीधे गेम्स में हराकर की। उसके बाद, उन्होंने चीन की यांग चियुक्सिया को हराकर शीर्ष 8 में जगह बनाई। क्वार्टर-फाइनल में, मनिषा ने जापान की ममिको टोयोडा को हराया और बिना किसी कठिनाई के पदक राउंड की ओर बढ़ी।

हालांकि, सेमी-फाइनल में मनिषा ने थुलासिमति मुरुगेसन का सामना किया, जहां उन्हें चुनौती का सामना करना पड़ा और स्वर्ण पदक के लिए मुकाबला करने का मौका खो दिया। इस चुनौती के बावजूद, कांस्य पदक मैच में उनकी यात्रा उनकी लचीलापन और कौशल की गवाही देती है।

प्रेरणादायक यात्रा

मनिषा रामादास की पैरा-ओलंपिक की ओर यात्रा उतनी ही प्रेरणादायक है जितनी उनकी प्रदर्शन। एर्ब्स पाल्सी के साथ जन्मी होने के बावजूद, उन्होंने पैरा-बैडमिंटन में अपनी खोज की, जो एक मित्र की सिफारिश से 2019 में शुरू हुआ। उनकी लगन और समर्पण युवा उम्र से ही स्पष्ट था। पैरा बैडमिंटन राज्य चैंपियनशिप में अपने प्रतिस्पर्धात्मक करियर की शुरुआत के बाद, मनिषा ने तेजी से विकास किया, महत्वपूर्ण मील के पत्थर तक पहुंच गईं।

बैडमिंटन आइकन साइना नेहवाल की प्रशंसा ने उनके लक्ष्यों को प्रेरित किया। अपनी पहली प्रतिस्पर्धात्मक वर्ष में, मनिषा ने पैरा-बैडमिंटन में वर्ल्ड नंबर 1 बनने की अद्वितीय उपलब्धि हासिल की। उनके कौशल को 2022 के विश्व चैंपियनशिप में जापान में स्वर्ण पदक के साथ मान्यता प्राप्त हुई। यह निरंतर सफलता 2022 के एशियन पैरा गेम्स में तीन कांस्य पदक जीतने के साथ प्रदर्शित की गई।

भारतीय पैरा-बैडमिंटन पर प्रभाव

मनिषा की पेरिस पैरा-ओलंपिक में ऐतिहासिक जीत भारतीय पैरा-बैडमिंटन के लिए एक नया अध्याय खोलती है। उनकी सफलता न केवल उनके व्यक्तिगत प्रतिभा को उजागर करती है बल्कि भारत में खेल की प्रोफाइल को भी ऊंचा करती है। उनकी उपलब्धियों ने न केवल उन्हें बल्कि आने वाली पीढ़ियों के लिए प्रेरणा का एक स्रोत प्रदान किया है।

थुलासिमति मुरुगेसन का रजत

जब मनिषा रामादास ने कांस्य पदक जीता, वहीं SU5 श्रेणी के फाइनल में भारतीय शटलर थुलासिमति मुरुगेसन ने स्वर्ण पदक के लिए प्रतिस्पर्धा की। 22 वर्षीय मुरुगेसन, जो नंबर 1 सीड थीं, ने चीन की यांग चियुक्सिया के खिलाफ संघर्ष किया। हालांकि, थुलासिमति ने फाइनल में 17-21 और 10-21 के स्कोर से हार का सामना किया। उनका रजत पदक एक प्रशंसा योग्य उपलब्धि है और भारतीय पैरा-बैडमिंटन की मजबूत प्रतिस्पर्धात्मक भावना को दर्शाता है।

भविष्य की संभावनाएं

मनिषा रामादास के कांस्य पदक के साथ, भारतीय पैरा-बैडमिंटन का भविष्य आशाजनक नजर आता है। उनकी असाधारण प्रतिभा और अडिग समर्पण के साथ, वे अंतर्राष्ट्रीय मंच पर एक मजबूत खिलाड़ी के रूप में उभर रही हैं। जैसे-जैसे वे अपनी सफलता पर निर्माण करती जाएंगी, मनिषा आने वाली पीढ़ियों के पैरा-एथलीटों के लिए प्रेरणा का स्रोत बनी रहेंगी।

सारांश में, मनिषा रामादास का पेरिस पैरा-ओलंपिक में ऐतिहासिक कांस्य पदक जीतना भारतीय खेलों के इतिहास में एक महत्वपूर्ण उपलब्धि है। उनका प्रदर्शन उनकी असाधारण क्षमता और समर्पण को दर्शाता है, जो पैरा-बैडमिंटन में एक नई मानक स्थापित करता है और दुनिया भर के खिलाड़ियों के लिए प्रेरणा का स्रोत बनता है।

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